कोरोना वायरस से बनारसी साड़ी उद्योग को आया 'बुखार', जानें बुनकरों की रोजी-रोटी क्यों खतरे में पड़ी?
Advertisement

कोरोना वायरस से बनारसी साड़ी उद्योग को आया 'बुखार', जानें बुनकरों की रोजी-रोटी क्यों खतरे में पड़ी?

वाराणसी के बुनकरों का कहना है कि बनारसी साड़ियों के ऑर्डर ज्यादा हैं पर रेशम कम है. इस वजह से वो वक्त पर आर्डर पूरा न कर पाने की आशंका से डरे हुए हैं.

 

कोरोना वायरस से बनारसी साड़ी उद्योग को आया 'बुखार', जानें बुनकरों की रोजी-रोटी क्यों खतरे में पड़ी?

नवीन पांडेय/वाराणसी: बनारस की पहचान कहे जाने वाले बनारसी साड़ी पर भी कोरोना वायरस का 'अटैक' हो गया है. इस 'अटैक' से बनारसी साड़ी बनाने का काम मंदा पड़ सकता है. इससे जुड़े करीब सात लाख परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो सकता है. दरअसल, कोरोना वायरस से निपटने के लिए चीन में फैक्ट्रियां बंद पड़ीं हैं. उत्पादन घट गया है. चीन ने 10 फरवरी तक सिल्क के निर्यात पर भी रोक लगा दी है. करीब 1500 टन सिल्क का निर्यात रूक गया है. इसका सीधा मतलब यह है कि सिल्क वक्त पर बनारस नहीं पहुंचेगा. इसका असर बनारसी साड़ी बनाने के काम धंधे से जुड़े लोगों पर पड़ना तय है. इनमें एक लाख से ज्यादा वो बुनकर हैं जो सीधे बनारसी साड़ी के उद्योग से जुड़े हैं.

दरअसल, बनारसी साड़ी में इस्तेमाल होने वाला रेशम चीन से आता है. इसके बाद बनारसी साड़ी में ताना बाना लगाया जाता है. तब जाकर बनारसी साड़ी तैयार होती है. मगर कोरोना वायरस के चलते चीन में फैक्ट्रियां बन्द होने से उत्पादन घट गया. चीन ने 10 फरवरी तक उत्पादन पर रोक लगा दी है. वाराणसी के बुनकरों का कहना है कि बनारसी साड़ियों के आर्डर ज्यादा हैं पर रेशम कम है. इस वजह से वो वक्त पर आर्डर पूरा न कर पाने की आशंका से डरे हुए हैं.

उद्योग से जुड़े लोगों की माने तो बनारसी साड़ी में 70% धागा मैन मेड फाइबर होता है यानी फैक्ट्रियों में तैयार होता है. इस धागे की कमी नहीं है लेकिन चीन में बनाए जाने वाले कुदरती रेशम का भंडार फरवरी तक ही है. अगर 10 फरवरी तक चीन ने मार्केट नहीं खोला तो बनारसी साड़ी के उद्योग पर आया ये संकट बढ़ जाएगा.

Trending news