सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा , ‘‘ हिंदुस्तान की न्यायपालिका खतरे में है. अगर हमारी न्यापालिका एकजुट होकर अपनी स्वायत्ता की सुरक्षा नहीं करती तो फिर लोकतंत्र खतरे में है.
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नई दिल्लीः कांग्रेस ने न्यायमूर्ति के एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाने की कालेजियम की सिफारिश को स्वीकार नहीं करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर आज तीखा हमला बोला. पार्टी ने यह भी सवाल किया कि क्या दो साल पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ फैसले की वजह से उनके नाम को मंजूरी नहीं दी गई ? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा , ‘‘ न्यायमूर्ति के . एम . जोसेफ की नियुक्ति क्यों रुक रही है ? इसकी वजह उनका राज्य या उनका धर्म अथवा उत्तराखंड मामले में उनका फैसला है ? ’’
उन्होंने कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर शपथ दिलाई जाएगी , लेकिन वह इससे निराश हैं कि न्यायमूर्ति जोसेफ की नियुक्ति रोक दी गई है.
What is holding up Justice K M Joseph's appointment? His State or his religion or his judgement in the Uttarakhand case?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 26, 2018
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि देश की न्यायपालिका की स्वायत्तता ‘ खतरे में है ’ और क्या न्यायपालिका यह बोलेगी कि ‘ अब बहुत हो चुका ?’’ कांग्रेस की यह तीखी प्रतिक्रिया उस वक्त आई है जब सरकार ने न्यायमूर्ति केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त करने संबंधी कोलेजियम की अनुशंसा को स्वीकार नहीं किया.
Collegium had stated that Justice Kurian Joseph is highly deserving of elevation. The SC website had released a notification of the same. Why is his position of not elevated by the Central govt?: Kapil Sibal, Congress pic.twitter.com/9E748ovYyC
— ANI (@ANI) April 26, 2018
सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा , ‘‘ हिंदुस्तान की न्यायपालिका खतरे में है. अगर हमारी न्यापालिका एकजुट होकर अपनी स्वायत्ता की सुरक्षा नहीं करती तो फिर लोकतंत्र खतरे में है. ’’ सिब्बल ने कहा , ‘‘ हम पहले से आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार सिर्फ उन्हीं न्यायाधीशों को चाहती है जिन पर उनकी सहमति है. कानून कहता है कि जिसे कोलेजियम चाहे वही न्यायाधीश बनेगा , लेकिन यह सरकार कहती है कि कोलेजियम कुछ भी चाहे , लेकिन जो हमारी पसंद का नहीं होगा उसे हम नहीं मानेंगे. ’’
उन्होंने कहा , ‘‘ इस समय उच्च न्यायालयों में स्वीकृत स्थायी न्यायाधीशों के पदों की संख्या 771 हैं जो स्थायी हैं. अतिरिक्त (न्यायाधीशों के) पदों की संख्या 308 हैं. इन कुल 1079 पदों में से 410 पद रिक्त हैं. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या स्थिति है. यह सरकार उच्च न्यायलयों को अपने लोगों से भरना चाहती है. ’’ इससे पहले इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ' बदले की राजनीति ' करने का आरोप लगाया.
उन्होंने सवाल किया कि क्या दो साल साल पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ फैसला देने की वजह से न्यायमूर्ति जोसेफ को पदोन्नति नहीं दी गई ? गौरतलब है कि मार्च , 2016 में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया था. कुछ दिनों बाद ही न्यायमूर्ति जोसेफ की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने इसे निरस्त कर दिया था.
(इनपुट भाषा)