UP के इस जिले में स्थापित की गई 'कोरोना माता' का मूर्ति, पूजा का भी है स्पेशल तरीका
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UP के इस जिले में स्थापित की गई 'कोरोना माता' का मूर्ति, पूजा का भी है स्पेशल तरीका

यहां के लोगों को मानना है कि पूर्वजों ने चेचक बीमारी को को शीतला मां का स्वरूप माना था. अब कोरोना को भी देवी माता का ही रूप मानकर उनकी पूजा की जानी चाहिए...

UP के इस जिले में स्थापित की गई 'कोरोना माता' का मूर्ति, पूजा का भी है स्पेशल तरीका

प्रतापगढ़: देश में कोरोना को भगाने के लिए कई तरीके के जतन किए गए. मेडिकल स्ट्रक्चर मजबूत करने के साथ-साथ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तो किया ही गया, लेकिन कई जगह हवन कर महामारी को भगाने की कोशिश भी हुई, तो कई लोगों ने कोरोना मइया की पूजा करनी शुरू कर दी. ऐसा ही एक मामला यूपी के प्रतापगढ़ से देखने को मिल रहा है. यहां पर 'कोरोना माता' का मंदिर बनाया गया है और बाकायदा एक मूर्ति की स्थापना भी की गई है. इस मंदिर पर लिखा है 'विश्व का पहला कोरोना मंदिर'. यहां पर लोग आकर पूजा-पाठ कर रहे हैं. हांलाकि, मंदिर में एंट्री से पहले लोगों को कोरोना प्रोटोकॉल के बारे में जागरूक भी किया जा रहा है.

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कोरोना में हुईं मौतों से डर गए थे ग्रामीण
जाहिर है कि कोरोना महामारी ने लोगों को डरा कर रखा है. और डर में इंसान आस्था का हाथ थामता है. ऐसे में परेशान लोग कोरोना माता मंदिर की राह पर चल दिए हैं. दरअसल, सांगीपुर के शुकुलपुर में कोरोना की चपेट में आकर तीन लोगों की मौत हो गई, जिस वजह से पूरा गांव डरा हुआ था. इसके बाद यहीं के लोकेश श्रीवास्तव नाम के एक व्यक्ति ने पहल की और ग्रामीणों की मदद से 7 जून को कोरोना माता की मूर्ति स्थापित की गई. 

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'कोरोना को माना जाना चाहिए देवी का रूप'
बताया जा रहा है कि यह मूर्ति स्पेशल ऑर्डर देकर बनवाई गई है और एक नीम के पेड़ के नीचे इसकी स्थापना की गई है. यहां के लोगों को मानना है कि पूर्वजों ने चेचक बीमारी को को शीतला मां का स्वरूप माना था. अब कोरोना को भी देवी माता का ही रूप मानकर उनकी पूजा की जानी चाहिए.

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मंदिर पर लिखी गईं ये बातें
गांववालों का कहना है कि यह मंदिर दुनिया का पहला कोरोना माता मंदिर है. इसकी दीवारों पर भी यह बात लिखी गई है. इसके अलावा, वहां कुछ निर्देश भी लिखे गए हैं, जैसे- दर्शन से पहले मास्क जरूर लगाएं, दूरी बना कर रखें, हाथ धोएं, आदि. दूसरी तरफ यह बात भी लिखी है कि फोटो खींचते समय मूर्ति को स्पर्श न करें और चढ़ावे में केवल पीले फूल, फल और वस्त्र ही चढ़ाएं. इस मंदिर में बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आ रहे हैं.

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पहले भी बन चुके हैं कोरोना के मंदिर
बता दें, भारत में पहले भी कोरोना माता के मंदिर बनाए गए हैं. केरल और तमिलनाडु के कोयंबटूर में भी ऐसे मंदिर हैं. जून 2020 में ही कोरोना के डर को दूर करने के लिए केरल के कोल्लम जिले के कडक्कल में एक पुजारी ने अस्थायी मंदिर में कोरोना देवी की मूर्ति स्थापित की थी.

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