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सेना का वो 100 साल पुराना संस्थान, जहां से निकलते हैं आर्मी, एयरफोर्स-नेवी के जांबाज अफसर

IAM History: भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में स्थित एक प्रतिष्ठित संस्था है, जो भारतीय सेना के अधिकारियों को प्रशिक्षण देती है.  इसकी स्थापना 1932 में हुई थी IMA का उद्देश्य युवाओं को शारीरिक, मानसिक और नेतृत्व कौशल में दक्ष बनाना है. यहां प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अधिकारी भारतीय सेना में शामिल होते हैं. 

सेना का वो 100 साल पुराना संस्थान, जहां से निकलते हैं आर्मी, एयरफोर्स-नेवी के जांबाज अफसर

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सेना का वो 100 साल पुराना संस्थान, जहां से निकलते हैं आर्मी, एयरफोर्स-नेवी के जांबाज अफसर

IMA का एजुकेशनल सिलेबस

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IMA का एजुकेशनल सिलेबस

IMA में केवल शारीरिक प्रशिक्षण ही नहीं, बल्कि शैक्षिक पाठ्यक्रम भी होता है, जिसमें सैन्य विज्ञान, इतिहास, रणनीतियां और अन्य आवश्यक विषय पढ़ाए जाते हैं.  इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य कैडेट्स को सिर्फ शारीरिक रूप से मजबूत नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी सशक्त बनाना है, ताकि वे भारतीय सेना में अच्छे अधिकारी बन सकें. 

 

IMA के कमांडेंट्स

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 IMA के कमांडेंट्स

IMA के पहले कमांडेंट ब्रिगेडियर एल.पी. कोलिन्स थे, जो ब्रिटिश शासन के दौरान नियुक्त हुए थे. उनके कार्यकाल के दौरान कई प्रमुख सैन्य अधिकारी IMA से पास आउट हुए. आजादी के बाद आईएमए के पहले भारतीय कमांडेंट ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह थे, जिन्होंने IMA को भारतीय सेना की आवश्यकताओं के अनुसार ढाला. 

ट्रेनिंग

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ट्रेनिंग

IMA में कैडेट्स को कठोर शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां पर वे अपने शारीरिक कौशल, मानसिक स्थिति और नेतृत्व क्षमता को साबित करते हैं. उन्हें विभिन्न सैन्य युद्धकला, फिजिकल फिटनेस, और डिसिप्लिन का पालन सिखाया जाता है. यह प्रशिक्षण उन्हें भारतीय सेना में सेवा देने के लिए पूरी तरह तैयार करता है.

अंतर्राष्ट्रीय महत्व

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 अंतर्राष्ट्रीय महत्व

IMA न केवल भारतीय सेना के लिए, बल्कि मित्र देशों की सेना के लिए भी प्रशिक्षण प्रदान करता है. यहां से अफसर बनने वाले कैडेट्स दुनियाभर में अपनी मातृभूमि की सेवा करते हैं. IMA ने विभिन्न देशों के सेनाध्यक्षों और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को भी जन्म दिया है, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ी है. 

 

नाम और बदलाव

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नाम और बदलाव

भारतीय सैन्य अकादमी  का नाम 1949 में सुरक्षा बल अकादमी, 1957 में मिलिट्री कॉलेज और 1960 के दशक में पुनः भारतीय सैन्य अकादमी रखा गया. यह अकादमी भारतीय सेना के अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का प्रमुख केंद्र है. आईएमए देहरादून में स्थित है और भारतीय सेना के उच्चतम अधिकारियों के रूप में प्रशिक्षित करने के लिए प्रसिद्ध है. 

 

IMA का डिजाइन

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IMA का डिजाइन

IMA का भवन एडविन लुटियंस के सहयोगी आरटी रसेल ने डिज़ाइन किया था. इसकी वास्तुकला ब्रिटिश और भारतीय शैलियों का संगम है. इसका मुख्य भवन रेलवे स्टाफ कॉलेज के नाम से जाना जाता था, जो बाद में भारतीय सैन्य अकादमी बन गया. IMA के आसपास सुंदर बाग-बगिचे और घास के मैदान इसे एक आकर्षक स्थान बनाते हैं.

IMA का म्यूजियम

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IMA का म्यूजियम

IMA का म्यूजियम भारत-पाकिस्तान युद्ध और अन्य महत्वपूर्ण युद्धों से संबंधित धरोहरों को संजोकर रखता है.  यहां जनरल नियाजी की रिवॉल्वर, युद्ध में प्रयुक्त अन्य हथियार, और सेना के ऐतिहासिक क्षणों की तस्वीरें रखी जाती हैं. यह म्यूजियम IMA के इतिहास को दर्शाता है और कैडेट्स और पर्यटकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

 

पारंपरिक पासिंग आउट परेड

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पारंपरिक पासिंग आउट परेड

IMA में पासिंग आउट परेड हर साल जून और दिसंबर के दूसरे शनिवार को आयोजित की जाती है. इस परेड में कैडेट्स को अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में शामिल किया जाता है. यह परेड बेहद भावुक और गर्वपूर्ण क्षण होती है, जब कैडेट्स को उनके कठिन प्रशिक्षण के बाद सेना में अफसर के रूप में सम्मानित किया जाता है.

 

ट्रेनिंग का समय

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ट्रेनिंग का समय

IMA में कैडेट्स की ट्रेनिंग एक साल (52 हफ्ते) की होती है. इसमें शारीरिक, मानसिक और युद्ध कौशल से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है. ट्रेनिंग के दौरान कैडेट्स को विभिन्न सैन्य गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलता है, जैसे कि घुड़सवारी, निशानेबाजी, सैन्य शिष्टाचार, नेतृत्व कौशल, और सामरिक योजना तैयार करना. यह ट्रेनिंग उन्हें सेना के अफसर बनने के लिए पूरी तरह से तैयार करती है.

 

IMA की स्थापना

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 IMA की स्थापना

भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) की स्थापना 1 अक्टूबर 1932 को हुई थी. यह देहरादून में स्थित है और भारतीय सेना के लिए उच्चतम सैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का केंद्र है. इसकी स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी और तब से यह भारतीय सैन्य अधिकारियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. IMA में दुनियाभर से कैडेट्स आते हैं और यहां से हजारों अधिकारी भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं.