विश्व रक्तदान दिवस: आपका खून किसी की सांसों को थमने से रोक सकता है
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विश्व रक्तदान दिवस: आपका खून किसी की सांसों को थमने से रोक सकता है

विकसित देशों में जहां अधिकांश रक्तदाता स्वैच्छिक होते हैं भारत सहित विभिन्न विकासशील देशों में लोग धन लेकर भी रक्तदान करते हैं. 

वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: आकाश पाताल सब नाप चुका इनसान आज तक खून का एक कतरा नहीं बना पाया. इनसान को खून की जरूरत हो तो उसे दूसरा इनसान ही दे सकता है और किसी दूसरे की जान बचाने के लिए अपना खून देने वाले को ईश्वर के बराबर दाता का दर्जा दिया जाता है. रक्तदान तब होता है, जब कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपना रक्त देता है, जिसे जरूरत पड़ने पर किसी दूसरे व्यक्ति को दिया जा सकता है या उसे दवाएं बनाने के काम में लाया जाता है.  विकसित देशों में जहां अधिकांश रक्तदाता स्वैच्छिक होते हैं भारत सहित विभिन्न विकासशील देशों में लोग धन लेकर भी रक्तदान करते हैं.

वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली 
कुछ लोग भविष्य में अपने या अपने परिवार के लिए किसी तरह की जरूरत पड़ने को ध्यान में रखते हुए रक्तदान करते हैं. वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली और विश्व के सभी देशों में स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने का संकल्प दोहराया.  लोगों को रक्तदान की मुहिम में शामिल करने के लिए वर्ष 2004 से 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया. अपने समय के विख्यात ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और भौतिकीविद कार्ल लेण्डस्टाइनर का जन्म 14 जून को ही हुआ था. 

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कार्ल ने रक्त समूहों में वर्गीकरण कर चिकित्साविज्ञान में अहम योगदान दिया था
वर्ष 1930 में शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कार्ल ने अलग अलग रक्त समूहों - ए, बी, ओ में वर्गीकरण कर चिकित्साविज्ञान में अहम योगदान दिया था. ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो नियमित रूप से रक्तदान करते हैं. 130 दफा रक्तदान कर चुके दीपक शुक्ला ने बताया कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी सौ से अधिक बार रक्तदान करने वाले आठ प्रदेशों के 18 रक्तदाताओं को रक्तदान दिवस पर सम्मानित करने वाले हैं. चालीसगांव (महाराष्ट्र) के दीपक शुक्ला ने फोन पर कहा कि ‘रक्तदान महादान’ है.  

वह कहते हैं ‘मुझे यह सोचकर खुशी मिलती है कि मेरे रक्तदान करने से कोई एक ऐसा शख्स मौत के मुंह में जाने से बच गया, जिसे मैं जानता नहीं, जिसे मैंने कभी देखा नहीं. मैं चाहता हूं कि रक्तदान का मेरा यह सिलसिला आगे भी जारी रहे. ’ ऐसे ही एक और शख्स हैं केशव वर्मा, जो लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करने के इरादे से इस साल 26 जनवरी को 15,000 किलोमीटर की यात्रा पर निकले हैं और उनका लक्ष्य हर एक किलोमीटर पर कम से कम 10 लोगों को रक्त दान के लिए प्रेरित करना है. केशव अपनी इस ‘चेंज विद वन वॉक’ मुहिम के तहत जम्मू-कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, दमन, दादरा नगर हवेली, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल , असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, दिल्ली की यात्रा कर करीब 5,00,000 लोगों को रक्त दान के लिए प्रेरित कर चुके हैं. 

भारत में हर दिन करीब 38000 लोगों को रक्त की जरूरत पड़ती है 
इसके बाद वह नेपाल और भूटान जाकर भी लोगों को रक्त दान के लिए प्रेरित करना चाहते हैं. केशव ने को बताया, ‘‘भारत में हर दिन करीब 38000 लोगों को रक्त की जरूरत पड़ती है और करीब 12000 लोगों की खून की कमी के कारण जान चली जाती है. इस पहल का लक्ष्य हर एक किलोमीटर पर कम से कम 10 लोगों को रक्त दान के लिए प्रेरित करना है. ’’केशव ने सिंपली ब्लड एप बनाया है और वह बताते हैं कि जरूरतमंदों को रक्त मुहैया कराने वाली इस एप के जरिए वह 11 देशों में 2000 से ज्यादा लोगों की जान बचाने में सफल रहे. 

रेडक्रास के रक्तदान शिविर में रक्तदान करने पहुंचे शरद अग्रवाल बताते हैं कि पिछले दस साल से वह हर साल 13 जून को रक्तदान करते हैं क्योंकि इसी दिन उनका जन्मदिन होता है.  वह अपने दोस्तों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं कि वह उनके जन्मदिन के तोहफे के तौर पर रक्तदान करें.

इस बारे में उन्होंने पिछले साल का एक दिलचस्प वाकया सुनाया जब वह रक्तदान करने पहुंचे और फार्म पर अपनी जन्म तिथि लिखी तो वहां मौजूद रेडक्रास कर्मचारियों ने उनके रक्तदान के बाद केक कटवाकर उनका जन्मदिन मनाया. रक्तदान को महादान की संज्ञा दी जाती है लेकिन रक्तदान के लिए आगे आने वाले लोगों की संख्या सीमित ही है. 

कोई भी स्वस्थ व्यक्ति हर तीसरे महीने रक्तदान कर सकता है
हालांकि यह स्थापित सत्य है कि रक्तदान करने से शरीर में कोई कमी नहीं आती और कोई भी स्वस्थ व्यक्ति हर तीसरे महीने रक्तदान कर सकता है. तो फिर इस बार विश्व रक्तदान दिवस पर रक्तदान कीजिए. क्या पता आपके खून की कुछ बूंदें किसी जरूरतमंद की सांसों को थमने से रोक दें. 

इनपुट भाषा से भी  

 

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