प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में मिले-जुले इलाकों को शामिल किया गया है. गलियारे की संभावित लंबाई लगभग 800 किलोमीटर तय की गई है.
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वाराणसी: जरा सोचिए आप एक ही सफर में कई धर्मस्थलों के दर्शन करते चलें तो कैसा होगा? होगी न कमाल की बात . तो ये कमाल अब इंडियन रेलवे करने जा रहा है. काशी से दिल्ली जाते वक्त यात्रियों को न सिर्फ हाई स्पीड का आनंद मिलेगा बल्कि उन्हें रास्ते में भगवान कृष्ण और श्रीराम के जन्मस्थान का भी दर्शन पाने का सौभाग्य मिल सकेगा. इसके लिए हाई स्पीड रेल खंड कॉरिडोर के लिए टेक्निकल एक्सपेरिमेंट को भी हरी झंडी मिल चुकी है.
अयोध्या और प्रयागराज भी होंगे स्टॉप
नई दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर से दिल्ली का एनसीटी आगरा, मथुरा, लखनऊ, इटावा, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, भदोही और अयोध्या जैसे बड़े शहरों से जुड़ जाएगा. वाराणसी-दिल्ली रूट पर रामलला की धरती अयोध्या नगरी और संगमनगरी प्रयागराज को भी शामिल किए जाने की योजना है.
लिडार से होगा सर्वे, सालों का काम सिर्फ महीनों में
दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए ग्राउंड सर्वे करने के लिए भारतीय रेलवे उच्च स्तरीय टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर रही है. ग्राउंड सर्वे के बजाय एक हेलीकॉप्टर के जरिए लेजरयुक्त उपकरण लिडार का इस्तेमाल किया जा रहा है. लाइट डिटेक्शन एन्ड रेजिंग तकनीक के जरिये सालों में होने वाले सर्वे का काम महीनों में ही पूरा कर लिया जाएगा. हवाई लिडार तकनीक का उपयोग करते हुए इस परियोजना पर जमीनी सर्वेक्षण पहले से ही चिह्नित जमीन पर अलग-अलग मापदंडों के मुताबिक शुरू हो चुका है. 13 दिसंबर से मौसम की स्थिति के आधार पर एक हेलीकाप्टर पर उपकरणों के माध्यम से डेटा कलेक्शन का काम शुरू हो जाएगा.
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मुंबई-अहमदाबाद रेल कॉरिडोर में हो चुका है लिडार का इस्तेमाल
मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना में लिडार की तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल करने के बाद इसका प्रयोग अब इस रूट पर किया जा रहा है. इस तकनीक के साथ, उच्च गुणवत्ता वाला डेटा कम समय में डिजिटल तरीके से प्रोवाइड कराया जाता है. लिडार प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का उपयोग सड़कों, भूतल परिवहन, नहरों, भूस्खलन, नगर नियोजन, सिंचाई से संबंधित प्रोजेक्ट्स में भी किया जा सकता है.
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लंबा और उपयोगी होगा रूट
प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में मिले-जुले इलाकों को शामिल किया गया है. इसमें घनी आबादी वाले शहरी और ग्रामीण इलाके, हाईवे, सड़क, घाट, नदियां के साथ हरे-भरे खेत भी शामिल हैं. गलियारे की संभावित लंबाई लगभग 800 किलोमीटर तय की गई है. दिल्ली-वाराणसी मुख्य हाई स्पीड कॉरिडोर को अब अयोध्या से भी जोड़ा जाएगा और ये रास्ता जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को भी जोड़ेगा. जबकि वाराणसी का बाबतपुर एयरपोर्ट और अयोध्या में प्रस्तावित एयरपोर्ट भी भविष्य में इससे जुड़ सकता है.
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