देहरादून: खतरे में ये चार प्रजातियां, भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोध में हुआ खुलासा
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देहरादून: खतरे में ये चार प्रजातियां, भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोध में हुआ खुलासा

भारत सरकार ने इन सभी संकट ग्रस्त वन्यजीव और जल जीव प्रजातियों को संरक्षित करने और विस्तृत शोध के लिए 100 करोड़ का प्रोजेक्ट दिया है.

शोध के साथ वैज्ञानिक स्थानीय लोगों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं ताकि लोगों में भी जागरुकता बढ़ सके.

नई दिल्ली/ देहरादून, (संदीप गुसाई): देश में वन्य और जल जीवों की चार प्रजातियां ऐसी है, जिन पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट की मानें तो देश में 22 संकट ग्रस्त प्रजातियों में चार प्रजातियां सबसे ज्यादा खतरें में है. ये चार प्रजातियां डाल्फिन, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, मणिपुर डियर (संघई) और डूगोंग (समुद्री गाय) है. इनका संरक्षण न होने कारण इन वन्य और जल जीवों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. भारत सरकार ने इन सभी संकट ग्रस्त वन्यजीव और जल जीव प्रजातियों को संरक्षित करने और विस्तृत शोध के लिए 100 करोड़ का प्रोजेक्ट दिया है.

विलुप्तप्राय वन्यजीवों और जल जीवों पर शोध और संरक्षण का ये अबतक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसमें भारतीय वन्यजीव संस्थान ने चार टीमों का गठन कर, कई शोधार्थियों को शामिल किया है. शोध के साथ वैज्ञानिक स्थानीय लोगों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं ताकि लोगों में भी जागरुकता बढ़ सके. 

खतरें की श्रेणी में 22 प्रजातियां
वैज्ञानिकों की मानें तो देश में 22 प्रजातियां खतरें की श्रेणी एक में रखी गई है. भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन डॉ. जीएस रावत ने बताया कि डाल्फिन भी खतरे में है, जो भारत की गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी में पाई जाती है. इनकी संख्या अब दो हजार से कम रह गई है और इसके लिए गंगा नदी पर बने बैराज, डैम और लगातार बढ़ता प्रदूषण जिम्मेदार है. उन्होंने बताया कि जब वन्यजीवों और जल जीवों का पारिस्थितिकीय तंत्र खतरें में आएगा, तो इससे मानव भी प्रभावित होगा. 

अबतक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट 
वन्यजीव संस्थान के निदेशक की मानें तो 3 साल पहले देश में जो वन्यजीव और जल जीव खतरें में है, उनकी पूरी सूची भेज दी गई थी. भारत सरकार ने इन सभी संकट ग्रस्त वन्यजीव और जल जीव प्रजातियों को संरक्षित करने और विस्तृत शोध के लिए 100 करोड़ का प्रोजेक्ट दिया. भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ वीपी माथुर ने बताया कि कोस्टल और टेरेस्टीरियल में 4 जीवों पर शोध शुरु हुआ, जिसमें राष्ट्रीय जलीय जीव डाल्फिन, डूगोंग (समुद्री जीव), ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, मणिपुर हिरन (संगई) को चुना गया. निदेशक की मानें तो ये चारों प्रजातियां सबसे ज्यादा संकटग्रस्त है और इन्हें संरक्षित करने के लिए वन्यजीव संस्थान ने कार्य शुरु कर दिया है. 

कहां-कहां पाएं जाती हैं ये प्रजातियों
डाल्फिन उत्तर प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में पाई जाती है. डुगोंग जिसे समुद्री गाय भी कहा जाता है और गुजरात, तमिलनाडु के रामेश्वरम और अंडबार निकोबार में पाया जाता है और ये केवल समुद्री घास ही खाता है. समुद्री गाय का अवैध शिकार भी बड़े स्तर पर किया जाता है. जानकारी के मुताबिक, एक डुगोंग का शिकार कर 2-3 लाख तक में बेचा जाता है. मणिपुर डियर जिसे संघई भी कहा जाता है और जो लोकटाम झील मणिपुर के केईबुल लामजाओं नेशनल पार्क में ही पाया जाता है, जबकि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या भी तेजी से घटती जा रही है और इनकी संख्या 200 से भी कम रह गई है. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पहले देश के सात राज्यों में पाई जाती थी, लेकिन अब केवल राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पाई जाती है. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड दुनिया के बड़ी वजनी पक्षियों में शुमार है, जिन्हें गोदावन भी कहा जाता है.

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