उत्तराखंड में ड्रोन से अस्पताल पहुंचाया ब्लड सैंपल, 18 मिनट में तय हुई 30 किमी की दूरी
इस सेवा में इस्तेमाल एक ड्रोन की लागत 10 से 12 लाख है. इसे कहीं भी आसानी से टेक ऑफ और लैंड कराया जा सकता है. इलेक्ट्रिक पावर से संचालित यह ड्रोन 400 ग्राम तक भार उठा सकता है.
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नई दिल्ली : टेली मेडिसिन सेवा 555 की सफलता के बाद अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले मरीजों के ब्लड सैंपल जांच के लिए जिला अस्पताल टिहरी की प्रयोगशाला तक पहुंचाने के लिए ड्रोन सेवा का प्रस्ताव रखा गया है. सीडी स्पेस कंपनी ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत ड्रोन से ब्लड सैंपल भेजने का डेमो दिखाया है, जिसमें करीब 32 किमी दूर पीएचसी नंदप्रयाग से ड्रोन ब्लड सैंपल लेकर महज 18 मिनट में जिला अस्पताल पहुंचा.
अस्पताल तक पहुंचने में असमर्थ दूर-दराज क्षेत्र के मरीजों के लिए 555 टेली मेडिसिन सेवा वरदान साबित हो रही है. इसी तरह मरीजों की मदद के लिए सीडी स्पेस रोबोटिक्स कंपनी ने पीएचसी-सीएचसी में आने वाले मरीजों का ब्लड व यूरीन आदि के सैंपल जांच के लिए ड्रोन से भेजने का प्रस्ताव रखा है, जिससे दूर-दराज के मरीजों को जिला अस्पताल टिहरी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. आईआईटी कानपुर के छात्रों ने इसका डेमो भी दिखाया है. ट्रायल के तौर पर करीब 32 किमी दूर नंदगांव पीएचसी से ड्रोन ब्लड सैंपल लेकर 18 मिनट में जिला अस्पताल पहुंचा.
इस सेवा में इस्तेमाल एक ड्रोन की लागत 10 से 12 लाख है. इसे कहीं भी आसानी से टेक ऑफ और लैंड कराया जा सकता है. इलेक्ट्रिक पावर से संचालित यह ड्रोन 400 ग्राम तक भार उठा सकता है.
टेली मेडिसिन सेवा 555 की सफलता के बाद अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले मरीजों के ब्लड सैंपल जांच के लिए जिला अस्पताल टिहरी की प्रयोगशाला तक पहुंचाने के लिए ड्रोन सेवा का प्रस्ताव रखा गया है. सीडी स्पेस कंपनी ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत ड्रोन से ब्लड सैंपल भेजने का डेमो दिखाया है, जिसमें करीब 32 किमी दूर पीएचसी नंदप्रयाग से ड्रोन ब्लड सैंपल लेकर महज 18 मिनट में जिला अस्पताल पहुंचा.
अस्पताल तक पहुंचने में असमर्थ दूरदराज क्षेत्र के मरीजों के लिए 555 टेली मेडिसिन सेवा वरदान साबित हो रही है. इसी तरह मरीजों की मदद के लिए सीडी स्पेस रोबोटिक्स कंपनी ने पीएचसी-सीएचसी में आने वाले मरीजों का ब्लड व यूरिन आदि के सैंपल जांच के लिए ड्रोन से भेजने का प्रस्ताव रखा है. जिससे दूर-दराज के मरीजों को जिला अस्पताल टिहरी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे.