सात समंदर पार तक पहुंची यूपी के घुंघरुओं की रुनझुन, परदेसी पांवों में देसी छमक
दो साल पहले तक गुमनामी और बेजारी से जूझ रहे एटा के घुंघरू उद्योग में योगी सरकार ने एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना से नई जान फूंक दी. इस योजना में शामिल होने के बाद एटा के घुंघरू देश ही नहीं दुनिया को भी अपनी छम छम से अपनी ओर खींच रहे हैं.
- एटा के घुंघरुओं की रुनझुन विदेशों तक
- विदेशी कलाकारों की पहली पसंद एटा के घुंघरू
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पवन सेंगर/एटा: उत्तर प्रदेश में बनारसी जरी, लखनवी चिकनकारी, खुर्जा के चीनी मिट्टी के बर्तन के अलावा एटा का पीतल भी खूब मशहूर है. कोरोना काल में भले ही ये कारोबार भले ही थोड़ा मंदा पड़ा हो, लेकिन योगी सरकार का साथ पाकर ये कारोबार अब खूब फल-फूल रहा है. एटा के जो घुंघरू भारत में हर मंच के कलाकारों की शान बनते हैं, वो अब सात समंदर पार का सफर तय करने जा रहा है. एटा के भारतीय कलाकारों के हुनर और लगन की कहानी अब परदेसी कलाकारों के पांव भी कहेंगे.
एक जनपद-एक उत्पाद योजना ने फूंकी जान
दो साल पहले तक गुमनामी और बेजारी से जूझ रहे एटा के घुंघरू उद्योग में योगी सरकार ने एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना से नई जान फूंक दी. इस योजना में शामिल होने के बाद एटा के घुंघरू देश ही नहीं दुनिया को भी अपनी छम छम से अपनी ओर खींच रहे हैं. राज्य सरकार भी एटा के कलाकारों के हुनर और मेहनत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंच देने में जुट गई है.
इन देशों में छमछमाएंगे एटा के घुंघरू
जिन देशों में यूपी के इन घुंघुरुओं की मांग बढ़ी है, वे हैं - दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व के देश. इसके अलावा सिंगापुर, मलेशिया, कंबोडिया, सउदी अरब, जार्डन, यूएई और इराक जैसे देशों में कलाकारों के बीच एटा के घुंघरू की मांग ने सरकार की इस योजना को पंख लगा दिए हैं. दुनिया के मंच पर मिल रहे इस मौके को हाथों हाथ लेते हुए योगी सरकार ने इन देशों को घुंघरुओं की सप्लाई शुरू कर दी है. देश और दुनिया में मिल रहे बाजार और मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने घुंघरू उत्पादन बढ़ाने के प्रयास भी तेज कर दिए हैं. MSME विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में ही एटा के घुंघरू और घंटी व्यापार में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत नए कलाकारों को प्रशिक्षण देकर इंडस्ट्री का विस्तार किया जा रहा है, ताकि देश और विदेश में बढ़ती मांग को पूरी गुणवत्ता के साथ पूरा किया जा सके.
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100 करोड़ के पार पहुंचा औसत कारोबार
देश में कोलकाता, आगरा, मथुरा, वाराणसी, मुरादाबाद, कानपुर और दिल्ली के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी एटा के घुंघरुओं की रुनझुन सुनी जाती है. देश और विदेश में घुंघरुओं के सालाना औसत व्यापार की बात करें तो ये 100 करोड़ को पार कर चुका है. मौजूदा दौर में 10000 से ज्यादा लोग घुंघरू और घंटी उद्योग से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. उत्पादन और उद्योग को बढ़ाने के लिए कलाकारों को 350 करोड़ रुपये के लोन के साथ ही मुफ्त प्रशिक्षण और जरूरी सामान भी मुहैया कराया जा रहा है. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत अब तक करीब 1000 नए युवाओं को प्रशिक्षित कर उद्योग से जोड़ा जा चुका है. कोरोना काल के दौरान व्यापार काफी डाउन हुआ, जिसका असर अब भी दिख रहा है. लेकिन सप्लाई के आर्डर मिलने से थोड़ी राहत जरूर मिल रही है.
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