UP: पिता ने की बेटे की आखिरी इच्छा पूरी, जानिए क्या थी घर के चिराग की हसरत
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UP: पिता ने की बेटे की आखिरी इच्छा पूरी, जानिए क्या थी घर के चिराग की हसरत

मृतक तुषार खुद एक दिव्यांग यही वजह है कि वह किसी अभाव में जी रहे व्यक्ति की परेशानी को भलीभांति समझता था. इसी वजह से वह चाहता था कि मरने के बाद उसके नेत्रदान के जरिए किसी व्यक्ति को आंखों की ज्योति मिल सके और वह उसकी आंखों से दुनिया को देख सकें.

तुषार अग्रवाल के देहांत के बाद किया गया नेत्रदान

अंशुमन पांडे/सोनभद्र: सोनभद्र के पिपरी थाना इलाके के रेणुकूट में एक परिवार में उनके बेटे की असामयिक मृत्यु हो गई. जिसके कारण परिवार में मातम छा गया. इस मातम के बीच अपने दिल पर पत्थर रख पिता ने बेटे की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उसका नेत्रदान भी कराया. दरअसल शुक्रवार को सोनभद्र के रेणुकूट निवासी अमन अग्रवाल के 16 वर्षीय पुत्र तुषार अग्रवाल का देहांत हो गया. बता दें कि तुषार दोनों पैरों से दिव्यांग था साथ ही उसे नैरो से जुड़ी समस्या भी थी. 

बता दें कि निजी अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने तुषार के घर पर ही ऑपरेशन कर आंखों को निकाला और सुरक्षित कर साथ ले गए. एक तरफ जहां लोग ब्लड डोनेट करने में भी कतराते और संकोच करते हैं, वहीं दूसरी तरफ तुषार ने अपनी आंखों का दान कर लोगों को यह संदेश दिया की अपने शरीर के अंग के दान से बड़ा कोई दान नहीं होता. कोई बेबस और लाचार व्यक्ति उन अंगों के सहारे सामान्य रूप से अपने जीवन को जी सकता है.

जबकि गम में डूबे परिवार के लोगों का मानना है की ''हम लोगों को ऐसा महसूस होगा कि हमारा बच्चा उस अंग के सहारे आज भी हम लोगों के बीच है''. जबकि मृतक तुषार के पिता अमन अग्रवाल ने कहा, कि जब भी आस-पास ब्लड डोनेशन कैंप लगता है तो वह उसमें वह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. उन्होंने बताया कि उनका बेटा दिव्यांग होते हुए भी बहुत हिम्मती और बहादुर था. वह अपनी बॉडी ऑर्गन को दान करने की बातें करता था. जिसको देखते हुए आज उसकी आंखों को दान करते हुए मैंने अपने बेटे की अंतिम इच्छा पूरी की है साथ ही उसको सच्ची श्रद्धांजलि देने का प्रयास कर रहे हैं.

क्योंकि तुषार खुद एक दिव्यांग यही वजह है कि वह किसी अभाव में जी रहे व्यक्ति की परेशानी को भलीभांति समझता था. इसी वजह से वह चाहता था कि मरने के बाद उसके नेत्रदान के जरिए किसी व्यक्ति को आंखों की ज्योति मिल सके और वह उसकी आंखों से दुनिया को देख सकें.

मृतक तुषार अग्रवाल के दादा केशव अग्रवाल का कहना है कि उनका पोता तुषार दोनों पैरों से दिव्यांग जरूर था, लेकिन वह अंदर से बहुत मजबूत था. वह आज उनके बीच नहीं है लेकिन वह नेत्रदान करके एक यादगार पल तैयार कर रहे हैं. 

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