पूर्व डीजीपी ने बताया कि जो लोग सीएए को गलत मानते हैं, वो गलत हैं. जोगेंद्र नाथ मंडल ने भी बाबा साहब भीम राव आंबेडकर की बात नहीं मानी. उसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा.
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लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और एससी-एसटी आयोग के पूर्व चेयरमैन बृजलाल ने बड़ा बयान दिया है. उनके मुताबिक सीएए से सबसे ज्यादा फायदा दलितों को होगा. एक बयान में उन्होंने कहा कि जिनको नागरिकता मिल रही है, उनमें सबसे ज्यादा पूर्वी बंगाल के नमो शूद्र हैं. वहीं, जो पार्टियां और दलित नेता सीएए का विरोध कर रही हैं, उन्हें जोगेंद्र नाथ मंडल से सबक लेना चाहिए. जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा देश ने भुगता है.
पूर्व डीजीपी बृजलाल ने कहा कि ये जो नागरिकता दी जा रही है, इसमें 70 से 75 प्रतिशत दलित, ओबीसी और गरीब हैं. जिन्हें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से भगाया गया था. आज तमाम पार्टियां समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल जैसी पार्टियांदलितों की हितैषी बनती है. लेकिन, ये वो पार्टियां हैं, जो सीएए का विरोध करके दलितों, गरीबों और ओबीसी का विरोध कर रही हैं. क्योंकि ये नागरिकता उन्हीं को मिल रही है. इसका विरोध करने वाले जो लोग हैं उन्हें जोगेंद्र नाथ मंडल से सबक लेना चाहिए.
उन्होंने जोगेंद्र नाथ मंडल के बारे में बताते हुए कहा कि कि वो एक दलित थे. उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर की बात नहीं मानी थी. बाबा साहब ने उनसे कहा था कि जब धर्म के नाम पर हिंदुओं का बंटवारा हो रहा था तो, वो पाकिस्तान से हिंदुओं को लेकर चले आएं. लेकिन, वो मुस्लिम लीग के प्रभाव में आ गए और वो दलितों के साथ पाकिस्तान में रहने लगे. वो पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री बने और उसके बाद कान्स्टीट्यूशन ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन बने. जिसके बाद वहां दलितों पर अत्याचार, कल्तेआम हुआ और सन 1947 से लेकर 1950 तक करीब 25 हजार हिंदू वहां मारे गए.
उन्होंने कहा कि इस दौरान जोगेंद्र नाथ मंडल वहां दौड़ते रहे लेकिन, किसी डीएम और एसडीएम ने उनकी बात नहीं सुनी. लियाकत अली खां जो उस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे, उन्होंने भी उनकी बात को नहीं सुना. जोगेंद्र नाथ मंडल को पाकिस्तान में तीन साल भी पूरे नहीं हुए थे और वो वहां से छोड़कर भाग आए. उन्होंने 8 अक्टूबर 1950 को इस्तीफा दे दिया. उनको उस वक्त की सरकार ने जेल भेजने का प्रयास किया था, क्योंकि जब वो हिंदुओं और दलितों की बात करते थे तो वहां की सरकार ने कानून पास किया कि जो सरकार का विरोध करेगा, उसको पांच साल की सजा होगी. जो व्यक्ति बाबा साहब का उत्तराधिकारी बनता, जो पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री था, उनका कलकत्ता में 5 अक्टूबर 1968 को उनका देहांत हो गया.
पूर्व डीजीपी ने बताया कि जो लोग सीएए को गलत मानते हैं, वो गलत हैं. जोगेंद्र नाथ मंडल ने भी बाबा साहब भीम राव आंबेडकर की बात नहीं मानी. उसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा. भारत के कई क्षेत्र उस वक्त पाकिस्तान में चले गए. उसका खामियाजा देश के अलावा दलितों ने भुगता है. जिन पर सबसे ज्यादा अत्याचार हुए हैं. बांग्लादेश युद्ध के समय उनकी हत्याएं हुई और भागकर उऩ्हें उत्तर प्रदेश में शरण मिली. सबसे ज्यादा वहां के दलित, नमो शुद्र उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, बरेली, खीरी में हैं.
उन्होंने कहा कि इन सबको जो नागरिकता मिली है यही वजह है कि आज उनका उत्साह देखते ही बनता है. अब उन्हें सरकार की विकास योजनाओं का लाभ मिलेगा. जो तमाम दलित नेता हैं, जो इससे भ्रमित हैं, उनको जोगेंद्र नाथ मंडल के निर्णय से सबक लेना चाहिए. जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा दलित और देश ने भुगता है.