काशी में निकल रही एक गुप्त काशी!
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काशी में निकल रही एक गुप्त काशी!

वाराणसी में गंगा नदी के किनारे सालों से बसे घरों से निकले ये मंदिर अब लोगों के लिए भी कौतुहल का विषय हो रहे हैं. लगभग हर एक घर से मंदिर निकल रहे हैं.

काशी में निकल रही एक गुप्त काशी!

वाराणसीः वाराणसी में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र के काम के दौरान एक गुप्त काशी का स्वरूप सामने आ रहा है. सालों से दबे और गायब मंदिर इस प्रोजेक्ट के निर्माण काम के दौरान सामने आ रहे हैं. ऐसे मंदिर जिन्हें कभी लोगों ने देखा भी नहीं था, अब घरों से निकल रहे हैं. इन मंदिरों को सहेज कर इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया है. लेकिन वाराणसी की तंग गलियों से निकली ये गुप्त काशी लोगों के बीच विवाद का केंद्र भी बन गई है. किसी को ये प्रोजेक्ट पसंद आ रहा है तो कोई इसकी खिलाफत कर रहा है.

दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र के विकास प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है उसमें काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर ललिता घाट और मणिकर्णिका घाट तक का सौंदर्यीकरण करने का प्लान है. इसके लिए सालों से बसे लोगों को यहां से विस्थापित किया जाएगा. सरकार उनके घरों का अधिग्रहण कर रही है और उन घरों को तोड़ा जा रहा है. घरों के टूटने के बाद उस पूरी जगह को नए सिरे से विकसित करने का प्लान था. लेकिन इस बीच घरों के टूटने पर एक नया ट्विस्ट सामने आ रहा है. सालों से बने घरों के अंदर से अब सैंकड़ो साल पुराने मंदिर निकल कर सामने आ रहे हैं. लोग इसे एक गुप्त काशी की संज्ञा दे रहे हैं.

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वहीं इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी इसे सहेजकर प्रोजेक्ट आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह कहते हैं कि "हमें पहले इन मंदिरों के बारे में ऐसी जानकारी नहीं थी, लेकिन कई मंदिर पुरातन काल के हैं और 18वीं शताब्दी से लेकर 19वीं शताब्दी में बने हैं. ऐसे में ये मंदिर हमारी धरोहर हैं और हम इन्हें सहेज कर ही आगे बढ़ेंगे. ये बिल्कुल कहा जा सकता है कि एक गुप्त काशी का स्वरूप अब सामने आ रहा है"

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वाराणसी में गंगा नदी के किनारे सालों से बसे घरों से निकले ये मंदिर अब लोगों के लिए भी कौतुहल का विषय हो रहे हैं. लगभग हर एक घर से मंदिर निकल रहे हैं. कहीं छोटे तो कहीं बड़े. लेकिन लोगों की इन मंदिरों और इस प्रोजेक्ट को लेकर अलग अलग राय है. कुछ कहते हैं कि लोगों ने मंदिरों को कब्जा करके रखा था और सालों से इन मंदिरों को किसी ने नहीं देखा था, इस प्रोजेक्ट के बाद ये मंदिर काशी क्षेत्र में पर्यटन और भव्यता को और बढ़ाएंगे तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ये मंदिर उन जगहों पर सालों पहले की पीढ़ियों द्वारा पूजा करने के लिए बनाए गए थे. हर मंदिर के निर्माण करने वाले परिवार वहां बसते गए और मंदिर घरों के अंदर आते गए.

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स्थानीय निवासी गुलशन कपूर कहते हैं कि "हमारा जन्म इसी जगह हुआ है लेकिन कभी हमने ये मंदिर देखे भी नहीं थे. अब इतने सारे मंदिर सामने आ रहे हैं. अलग अलग इलाकों में अलग अलग पूजा विधि से पूजे जाने वाले भगवान सामने आए हैं. ये एक धार्मिक स्थल है ऐसे मंदिरो को संरक्षित करने से प्रोजेक्ट तो सुंदर होगा ही भगवान की भी उचित विधि से पूजा की जाएगी." वहीं इसी जगह के रहने वाले राजनाथ तिवारी कहते हैं कि "सरकार प्रोजेक्ट के नाम पर लोगों को हटा रही है, मंदिरों पर कब्जा बता रही है. लोगों ने मंदिरों को अपनी पूजा के लिए बनवाया था, लोग रोज वहां पूजा करते थे, अब यहां पूजा बंद है. लोगों को कब्जेदार बताया जा रहा है जबकि लोगों ने मंदिरों का संरक्षण किया है"

इन मंदिरों की उम्र का पता लगाने के लिए बकायदा सरकार ने टीमें लगाई हैं. शुरुआती तौर पर एएसआई की जांच में ये बात सामने आई है कि घरों से निकल रहे सभी मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद के समय में निर्मित हुए हैं. माना जा रहा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण के बाद लोग यहां आकर बसते गए और उन्होंने उस दौरान कई मंदिरों का निर्माण किया जो धीरे धीरे घरों की चपेट में आ गए. अब इस प्रोजेक्ट के बाद काशी का सामने आया ये गुप्त स्वरूप गुप्त काशी के तौर पर माना जा रहा है. गुप्त काशी का ये स्वरूप कैसे आज की काशी को नया रूप प्रदान करेगा ये अब देखने वाली बात होगी.

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