नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के डीन पीके कसर के मुताबिक फॉरेंसिक विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने 4 से 6 अक्टूबर तक अवकाश लिया था. इस दौरान वह बिना कॉलेज प्रशासन को सूचित किए हाथरस में मृतका के परिजनों से मिलने गई थीं.
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जबलपुर: हाथरस कांड में पीड़ित परिवार के साथ ''नकली भाभी'' बनकर रहने वाली डॉक्टर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जबलपुर मेडिकल कॉलेज डॉक्टर राजकुमारी बंसल को नोटिस भेजने की तैयारी में है. डॉक्टर पर हाथरस के पीड़ित परिवार के घर कई दिन तक रहकर उन्हें राज्य सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ भड़काने का आरोप है. इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस भी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है.
राजकुमारी को मेडिकल कॉलेज ने नोटिस भेजा है
इस बीच जबलपुर मेडिकल कॉलेज ने संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्तता के मामले में डॉक्टर राजकुमारी को नोटिस भेजने की तैयारी कर ली है. हाथरस में पीड़ित परिवार की बेहद नजदीकी रिश्तेदार बनकर मीडिया के साथ ही जिला प्रशासन को बयान देने वाली डॉक्टर राजकुमारी बंसल की भूमिका बेहद संदिग्ध है. कभी पीड़ित परिवार की बहन तो कभी भाभी के रूप में सामने आने वाली डॉक्टर के माओवादी तथा नक्सली संगठनों से सम्पर्क होने के शक में भी जांच की जा रही है.
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मेडिकल कॉलेज के डीन ने कही कार्रवाई की बात
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के डीन पीके कसर के मुताबिक फॉरेंसिक विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने 4 से 6 अक्टूबर तक अवकाश लिया था. इस दौरान वह बिना कॉलेज प्रशासन को सूचित किए हाथरस में मृतका के परिजनों से मिलने गई थीं. डीन ने कहा कि वह इस तरह के विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बन सकती हैं क्योंकि वह सरकारी कर्मचारी हैं. डॉक्टर को नोटिस जारी कर उनसे एक हफ्ते में स्पष्टिकरण मांगा जाएगा. उनका जवाब मिलने के बाद शासन के नियमों के मुताबिक उचित कार्रवाई होगी.
डॉक्टर राजकुमारी ने मानी थी हाथरस जाने की बात
हाथरस मामले में अपनी भूमिका पर उठ रहे सवालों पर डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने कहा था कि वह इंसानियत के नाते हाथरस पहुंची थीं और पीड़िता के परिवार की मदद करना ही उनका मकसद था. इसके अलावा उन्होंने दावा किया था कि वह एक फॉरेंसिक एक्सपर्ट हैं. वह हाथरस पीड़िता की पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट देखना चाहती थीं. राजकुमारी बंसल ने कहा कि हाथरस घटना की जानकारी मिलने के बाद उन्हें नींद नहीं आई थी. वह पीड़िता के परिजनों को सहानुभूति देने और संवेदना व्यक्त करने हाथरस गई थीं और उनके निवेदन पर वहां रुकने का फैसला किया.
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