कोरोना काल में गंगा दशहरा का पावन पर्व श्रद्धा-भक्ति के साथ बेहद सादगी से मनाया जा रहा है. इस बार संगम तट और उसके आसपास भीड़भाड़ नहीं है. घाट पर बेहद कम लोग ही गंगा स्नान के लिए पहुंचे हैं. लॉक डाउन के चलते संगम क्षेत्र में किसी तरह का कोई आयोजन भी इस बार नहीं किया गया है.धर्म नगरी काशी में जहां गंगा दशहरा पर लाखों लोग गंगा में स्नान करते नजर आते थे, वहीं इस बार यहां सन्नाटा पसरा है
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प्रयागराज: गंगा दशहरा के पावन पर्व पर संत महात्माओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी और महामंत्री हरि गिरि के साथ साधु-संतों ने गंगा स्नान किया. इस दौरान साधु-संतों ने कोरोना वायरस से देश और दुनिया को मुक्त कराने के लिए मां गंगा से प्रार्थना की. गंगा दशहरा, मां गंगा के अवतरण का दिन माना जाता है. ऐसी मान्यता है, कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने और दान पुण्य करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
संगम घाट पर नहीं दिखी भीड़
कोरोना काल में गंगा दशहरा का पावन पर्व श्रद्धा-भक्ति के साथ बेहद सादगी से मनाया जा रहा है. इस बार संगम तट और उसके आसपास भीड़भाड़ नहीं है. घाट पर बेहद कम लोग ही गंगा स्नान के लिए पहुंचे हैं. लॉक डाउन के चलते संगम क्षेत्र में किसी तरह का कोई आयोजन भी इस बार नहीं किया गया है. साधु संतों ने गंगा दशहरा के पावन पर्व पर सुबह ही गंगा स्नान किया और मां गंगा से संपूर्ण राष्ट्र को कोरोना से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. गंगा स्नान और पूजा के समय साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी, महामंत्री हरी गिरी सहित जूना अखाड़े के अध्यक्ष प्रेम गिरि महाराज, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव यमुना गिरी जी महाराज भी मौजूद रहे.
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वाराणसी में भी घाट सूने रहे
धर्म नगरी काशी में जहां गंगा दशहरा पर लाखों लोग गंगा में स्नान करते नजर आते थे, वहीं इस बार यहां सन्नाटा पसरा है. हर तरफ सन्नाटा है. गंगा घाटों को आने वाली सड़कों पर भारी भरकम फोर्स तैनात है ताकि घाट पर भीड़-भाड़ न हो. गंगा दशहरा के मौके पर गंगा नदी या अन्य किसी भी सरोवर और तालाब में स्नान करने को लेकर जिलाधिकारी वाराणसी ने पहले ही रोक लगा रखी है.
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