21वीं सदी में कैसी हो स्कूली शिक्षा? PM नरेंद्र मोदी ने दिया न्यू एज लर्निंग का ``Five E`` मंत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ``आज हम देखें तो प्री स्कूल की प्लेफुल एजुकेशन शहरों में प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित है. नई शिक्षा नीति के तहत ये व्यवस्था अब गांवों में भी पहुंचेगी, गरीब के घर तक पहुंचेगी. मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है.``
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत 21वीं सदी में स्कूली शिक्षा (School Education in 21st Century) विषय पर आयोजित कॉन्क्लेव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया. शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा पर्व (Shiksha Parv) के एक भाग के रूप में इस सम्मेलन का आयोजन किया था. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जिसे पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के 34 वर्षों के बाद घोषित किया गया, जिसमें में स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों स्तर पर बड़े सुधारों के लिए निर्देश दिया गया है.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत की उम्मीदों को पूरा करेगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ऐलान होने के बाद बहुत से लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं. ये शिक्षा नीति क्या है? ये पहले की शिक्षा नीति से कैसे और कितनी अलग है? इससे स्कूल और कॉलेजों की व्यवस्थाओं में क्या बदलाव आएगा? उन्होंने इन प्रश्नों के उत्तर भी दिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है. इसके पीछे पिछले 4-5 वर्षों की कड़ी मेहनत है, हर क्षेत्र, हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर दिन रात काम किया है. लेकिन ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है.
बच्चे जैसे-जैसे आगे बढ़ें, सीखने की भावना भी बढ़नी चाहिए
उन्होंने कहा, ''मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के इस अभियान में हमारे प्रधानाचार्य और शिक्षक पूरे उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं. कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के शिक्षकों से उनके सुझाव मांगे थे. एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं. ये सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद करेंगे. कोरोना से बने हालात हमेशा ऐसे ही नहीं रहने वाले हैं. बच्चे जैसे-जैसे आगे बढ़ें, उनमें ज्यादा सीखने की भावना का विकास हो. बच्चों में Mathematical Thinking और Scientific Temperament विकसित हो, ये बहुत आवश्यक है.''
बीते 3 दशकों में सबकुछ बदला, शिक्षा नीति नहीं बदली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ''आज हम देखें तो प्री स्कूल की प्लेफुल एजुकेशन शहरों में प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित है. नई शिक्षा नीति के तहत ये व्यवस्था अब गांवों में भी पहुंचेगी, गरीब के घर तक पहुंचेगी. मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत Foundational Literacy and Numeracy के विकास को एक राष्ट्रीस मिशन के रूप में लिया जाएगा. पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया, हर व्यवस्था बदल गई. इन 3 दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पक्ष हो जो पहले जैसा हो. लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, हमारी शिक्षा व्यवस्था, वो अब भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी.''
बहुत सोच समझकर लागू की गई है 5+3+3+4 की व्यवस्था
पीएम ने अपने संबोधन में कहा, ''आज हम सभी एक ऐसे क्षण का हिस्सा बन रहे हैं, जो हमारे देश के भविष्य निर्माण की नींव डाल रहा है, जिसमें नए युग के निर्माण के बीज पड़े हैं. नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने वाली है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 10+2 की पुरानी व्यवस्था को बदलकर 5+3+3+4 की व्यवस्था बहुत सोच-समझकर लागू की गई है. इस नई व्यवस्था के तहत अर्ली चाइल्डवुड केयर को एजुकेशल नींव के रूप में शामिल किया गया है. अब शहरों के प्राइवेट स्कूलों तक सीतिम प्लेफुल एजुकेशन गांव में पहुंचेगी. गरीब और वंचित तबके के बच्चे भी स्कूलों में प्लेफुल लर्निंग का हिस्सा बनेंगे. हमें शिक्षा में आसान और नए-नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा. हमारे ये प्रयोग, New Age Learning का मूलमंत्र होना चाहिए- Engage, Explore, Experience, Express और Excel.''
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