Scrap Dealer License in UP: कैसे पाएं स्क्रैप डीलर का लाइसेंस?, अच्छे मुनाफे के साथ शुरू करें अपना कारोबार
Scrap Dealer License in UP: भारत में हर साल 62 मिलियन टन से ज्यादा स्क्रैप यानी कचरा निकलता है. इसमें से लगभग 45 मिलियन टन रिसाइकिल करने योग्य होता है.
Scrap Dealer in UP: अगर आप मुनाफे का व्यवसाय करना चाहते हैं. साथ ही स्वच्छ भारत को बनाए रखने में योगदान देना चाहते हैं तो आप स्क्रैप डीलर बन सकते हैं. स्क्रैप का व्यवसाय कर आप न केवल पर्यावरण को अनुकूल बनाए रखने में मदद करते हैं बल्कि इससे अच्छा खासा मुनाफा भी कमा सकते हैं. तो आइये जानते हैं कैसे स्क्रैप व्यवसाय शुरू कर सकते हैं?.
क्यों बने स्क्रैप डीलर?
जानकारी के मुताबिक, भारत में हर साल 62 मिलियन टन से ज्यादा स्क्रैप यानी कचरा निकलता है. इसमें से लगभग 45 मिलियन टन रिसाइकिल करने योग्य होता है. इसके अलावा, भारत हर साल लगभग 8.37 मिलियन टन स्क्रैप मेटल आयात करता है, जिससे यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्क्रैप आयातक बन गया है.
क्या होता है स्क्रैप?
पहले समझ लें कि स्क्रैप व्यवसाय होता क्या है?. स्क्रैप कचरे को कहते हैं. कागज, धातु, प्लास्टिक और अन्य रिसाइकिल सामग्री की खरीद और बिक्री को स्क्रैप डीलर कहते हैं. भारत में पहले स्क्रैप का कारोबार सामाजिक रूप से पिछड़े लोग चलाते थे. उन्हें उचित सम्मान भी नहीं मिलता था, लेकिन समय के साथ नजरिया बदला और इस कारोबार में भी बदलाव हुआ. अब लोग स्क्रैप कारोबार की ओर रुख कर रहे हैं और खूब पैसा कमा रहे हैं.
स्क्रैप व्यवसाय कैसे शुरू करें?
स्क्रैप व्यवसाय शुरू करने के लिए बाजार सबसे जरूरी है. अपने क्षेत्र में स्क्रैप की मांग, आपूर्ति और सामग्रियों की कीमत के बारे में जानकारी एकत्रित रखना होता है. यूपी में स्क्रैप कारोबार संचालित करने के लिए सरकार लाइसेंस भी देती है. लाइसेंस मिलने के बाद स्क्रैप कारोबार चलाने के योग्य हो सकते हैं. लाइसेंस पाने के लिए सबसे पहले आपने स्थानीय नगर निगम या जिला उद्योग केंद्र से आवेदन करना होता है. इसके बाद जीएसटी नंबर लेना होता है.
इन दस्तावेजों की जरूरत
भारत में स्क्रैप व्यवसाय शुरू करने के लिए आपको कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा. स्थानीय अधिकारियों से आवश्यक लाइसेंस और परमिट की आवश्यकता होती है जो आपके विशिष्ट स्थान और व्यवसाय के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकते हैं. लाइसेंस लेने के लिए जीएसटी पंजीकरण, व्यवसाय लाइसेंस, व्यापार लाइसेंस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रमाण पत्र जरूरी होता है.
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