रेरा ने निकाला रास्ता, सील हुए प्रोजेक्ट्स से ऐसे लौटाया जाएगा खरीदारों का पैसा
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रेरा ने निकाला रास्ता, सील हुए प्रोजेक्ट्स से ऐसे लौटाया जाएगा खरीदारों का पैसा

Real Estate Regulatory Authority: यह फैसला यूपी रेरा के अध्यक्ष राजीव, जिलाधिकारी बीएन सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व एमएन उपाध्याय व गाजियाबाद के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद लिया गया.

फाइल फोटो

नोएडा: बिल्डरों (Builders) के खिलाफ सामने आने वाले मामलों को देखते हुए रेरा (Real Estate Regulatory Authority) ने प्रशासन के साथ बैठकर बड़ा फैसला किया है. अब बकाया वसूली के लिए बिल्डरों के प्रोजेक्ट सील नहीं होंगे, बल्कि ऐसे प्रोजेक्टों में बिक्री से बचे फ्लैट नीलाम ( Auction) किए जाएंगे. नीलामी से प्राप्त रकम से खरीदारों का पैसा लौटाया जाएगा.

यह फैसला यूपी रेरा के अध्यक्ष राजीव, जिलाधिकारी बीएन सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व एमएन उपाध्याय व गाजियाबाद के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद लिया गया. रेरा के इस फैसले से जहां एक तरफ बिल्डरों के सामने मुश्किल खड़ी होगी, वहीं खरीदारों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.

दरअसल, यूपी रेरा में शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ रही है. महज एक वर्ष के दौरान रेरा कार्यालय में 17 हजार से अधिक शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं. हर दिन बिल्डरों की शिकायतों के मामले बढ़ रहे हैं. लगातार सुनवाई करते हुए रेरा लगभग 10 हजार मामले निस्तारित कर चुका है. कई मामलों में रेरा ने खरीदारों को पैसा वापस लौटाने का आदेश भी बिल्डरों को दिया है, लेकिन ज्यादातर बिल्डर इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं. इसलिए मामले की सुनवाई होने के बाद भी समस्या का हल नहीं निकल रहा है.

 रेरा ने लगभग एक हजार रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) भी जारी किए हैं. आरसी के आधार पर प्रशासन वसूली भी कर रहा है, लेकिन बिल्डरों के पते गलत होने व अन्य कारणों से काफी आरसी वापस आ रहे हैं. आरसी के बावजूद पैसा नहीं मिलने पर रेरा ने कुछ बिल्डरों के प्रोजेक्ट को सील भी किया है. इसके बावजूद समस्या का हल नहीं हो रहा है.

इसे देखते हुए रेरा अध्यक्ष राजीव कुमार ने प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में रेरा के सदस्य बल¨वदर कुमार भी मौजूद थे. उन्होंने बताया कि अगर बिल्डर के पास पैसा नहीं है तो इस स्थिति में अब प्रोजेक्ट को सील नहीं किया जाएगा, बल्कि प्रशासन उन बिल्डरों के वैसे प्रोजेक्टों के फ्लैट को अपने कब्जे में लेगा, जिनकी बिक्री अब तक नहीं हुई है. उनकी नीलामी कर पैसा वसूला जाएगा.

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पहले चरण में कुछ बड़े बिल्डरों सुपरटेक, थ्री-सी, लॉजिक्स समेत अन्य पर कार्रवाई होगी. हाल ही में कोयला खदान का ई-नीलामी के माध्यम से आवंटन किया गया था. वहीं, प्रक्रिया इसमें भी अपनाई जाएगी. उन्होंने बताया कि सरकार की एजेंसी से पोर्टल तैयार करवाया जाएगा. उसके द्वारा ही बिल्डर के फ्लैटों का निरीक्षण कर नीलामी की धनराशि तय की जाएगी. उसके बाद पोर्टल पर ही नीलामी होगी.

गौरतलब है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में तकरीबन 1 लाख फ्लैट खरीदार ऐसे हैं, जिन्हें अब तक पजेशन नहीं मिला है, क्योंकि वहां काम ठप पड़ा है. वहीं, कुछ 50 से अधिक बिल्डर ऐसे हैं, जिन्होंने काम ही ठप कर दिया है. एक अनुमान के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा में 1.50 तो नोएडा में 1 लाख लोगों को अपने फ्लैट पर कब्जे का इंतजार है.

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