शाहजहांपुर: इस रामलीला में मुस्लिम और ईसाई कलाकार निभाते हैं भगवानों के किरदार
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शाहजहांपुर: इस रामलीला में मुस्लिम और ईसाई कलाकार निभाते हैं भगवानों के किरदार

भगवान परशुराम के वेश भूषा में कलाकार मोहम्मद अरशद आजाद के हर संवाद पर लोग खूब तालियां बजाते हैं. 

अरशद का मानना है कि हिन्दू और मुसलमान एक मां के दो बेटे है, जिन्हे हमेशा मिल जुलकर रहना चाहिए.

शाहजहांपुर: आज भले ही अराजक तत्व देश का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिशों में लगे हो, लेकिन यूपी के शाहजहांपुर की रामलीला साम्प्रदायिक सौहार्द की अटूट मिशाल पेश कर रही है. यहां मुस्लिम कलाकार भगवान परशुराम का रोल निभाता है, तो ईसाई कलाकार दशरथ पात्र निभाकर उनके आदर्शों को लोगों के सामने पेश करता है. भगवान परशुराम के वेश भूषा में कलाकार मोहम्मद अरशद आजाद के हर संवाद पर लोग खूब तालियां बजाते हैं. 

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रामलीला के कलाकार मोहम्मद अरशद ने बताया कि पिछले 18 सालों से वह फैक्ट्री स्टेट रामलीला में रामायण के कई पात्रों का रोल निभा चुके हैं. उन्होंने बताया कि वह सबसे पहले नमाज पढ़कर खुदा को याद करते है और उसके बाद भगवान शिव की चरण वन्दना भी करते हैं. अरशद की मानें तो, उन्होंने राम लीला में मंचन के जरिए मर्यादा पुरूषोत्तम राम के चरित्र बेहद करीब से जाना हैं. अरशद को रामायण की कई चौपाईयां मुंहजबानी रटी हुई हैं. अरशद का मानना है कि हिन्दू और मुसलमान एक मां के दो बेटे है, जिन्हे हमेशा मिल जुलकर रहना चाहिए. 

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दशरथ का पात्र निभाने वाले पैट्रिक दास का कहना है कि सभी धर्मों के लोगो को भगवान राम के चरित्र को जीवन में उतारना चाहिए. साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए जानी जाने वाली इस रामलीला के मंचन को देखने के लिए पड़ोसी जिलों से लोग भी शाहजहांपुर आते हैं. इस रामलीला की खास बात ये है कि यहां कोई कलाकार मंचन के एवज में पैसा नहीं लेता है. शाहजहांपुर के मोहम्मद अरशद जैसे कलाकार उन लोगों के लिए एक सबक हैं जो साम्प्रदायिकता के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंककर लोगों को एक-दूसरे से अलग करने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं.

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