रजनीश त्रिपाठी/नई दिल्ली: 26 जनवरी को लाल किले पर किसान आंदोलन के नाम पर हुई हिंसा से पूरा देश आहत है. ऐसे में कई किसान संगठनों ने आंदोलन से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया था. इसी क्रम में देश का सबसे बड़ा किसान संगठन भारतीय किसान संघ भी 6 फरवरी को होने वाले चक्का जाम का समर्थन नहीं करना चाहता है. संगठन के महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने एक खत लिख कर इस बात की पुष्टि की है. 


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BKS का कहना- आंदोलन होता जा रहा राजनैतिक
पत्र में BKS के महामंत्री ने लिखा है कि करीब 70 दिनों से चल रहे दिल्ली की सीमा पर ये आंदोलन पहले तो थोड़ा ही राजनैतिक लगता था, लेकिन अब वहां अधिकांश राजनैतिक दलों और नेताओं का जमावड़ा लगने लगा है, जिससे ये बात साफ हो गई है कि यह आंदोलन पूरी तरीके से राजनैतिक हथकंडा ही है. 


चक्का जाम में भी हो सकती है 26 जनवरी जैसी हिंसा
BKS का कहना है कि पहले से ही भारतीय किसान संघ ने ऐसा अंदेशा लगाया था कि यह आंदोलन मंदसौर जैसा हिंसक रूप लेगा. संभवत: 26 जनवरी को जो लोग हिंसक हुए, इसमें भारतीय किसान संघ की आशंका सही सिद्ध हुई. इसलिए भारतीय किसान संघ को 6 फरवरी को चक्का जाम में कोई अनहोनी नहीं हो जाए, इसकी आशंका है. 


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हिंसा राष्ट्र विरोधी तत्वों का काम
26 जनवरी पर अपने राष्ट्रध्वज को अपमानित करना और सरेआम दिनदहाड़े इसकी स्वीकृति देना, राष्ट्र विरोधी तत्व ही कर सकते हैं. ऐसा लगता है कि इस आंदोलन के अंतर्गत पर्याप्त संख्या में अराष्ट्रीय तत्व सक्रिय हो चुके हैं, जो अपनी पकड़ मजबूत करने में भी सफल हो गए हैं. इसी कारण संसद में पारित कानूनों, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का भी सम्मान नहीं करके लोकतंत्र विरोधी कार्य किसानों के नाम पर करवा रहे हैं. 


देश विरोधी ताकतें अराजकता फैला रही हैं
आंदोलन की शुरुआत में ही कनाडा के राजनैतिक नेतृत्व का वक्तव्य, ब्रिटिश नेताओं के वक्तव्य और हाल ही में आए कुछ तथाकथित विदेशी कलाकारों के वक्तव्यों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि इस आंदोलन के सूत्र विदेशों से संचालित हैं और भारत विरोधी ताकतों के द्वारा देश में अराजकता पैदा करने का खेल खेला जा रहा है. 


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BKS नहीं करता चक्का जाम और भूख हड़ताल का समर्थन
बीकेएस का कहना है कि इन सबके चलते भारतीय किसान संघ, राष्ट्रवादी एवं गैर राजनैतिक होने के कारण हिंसा, चक्का जाम और भूख हड़ताल जैसे कार्यों का नीतिगत समर्थन नहीं करता है. यह संगठन राष्ट्रहित की चौखट में ही किसान हित को देखकर चलता है. अत: 6 फरवरी को चक्का जाम का हम सब समर्थन नहीं करते. 


लोगों से भी की संयम रखने की अपील
बीकेएस का कहना है कि देश के आमजन विशेषकर किसान बंधुओं से आग्रह है कि वे 6 फरवरी के दिन संयम से काम लें और शांति स्थापना में ही सहयोगी बनें. इसके साथ ही, सभी किसान नेताओं से आशा की है कि पीएम कानून को डेढ़ से दो साल के लिए स्थगित करने के प्रस्ताव पर अभी भी यथावत हैं, उसे स्वीकार करते हुए वार्ता के लिए सक्षम समिति का गठन करने और सालों से लंबित भारतीय किसान की नीतिगत समस्याओं पर समुचित निर्णय करवाने की ओर अग्रसर हों. 


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