Hardoi DM News: उत्तर प्रदेश के हरदोई से ऐसा वाकया सामने आया है, जो चर्चाओं का विषय बन चुका है. जहां 94 साल के बुजुर्ग की करुणा भरी फरियाद सुनकर डीएम तेवर में आ गए. उन्होंने लेखपाल और कानूनगो के खिलाफ कड़ा कदम उठाया.
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Hardoi DM News: हरदोई में गुरुवार को ऐसी घटना घटी, जो लापरवाह कर्मचारियों के लिए बड़ा सबक बन चुका है. जहां पर सीएम अपने कार्यालय में जन सुनवाई कर रहे थे, तभी वहां 94 सा के फरियादी पहुंच गए. डीएम को देखते ही उनकी आंखें छलछला गईं. डीएम मंगला प्रसाद ने 94 साल के बुजुर्ग को देखते ही अपनी कुर्सी छोड़ दी. उनसे तुरंत आने की वजह पूछी, भरभराई कंपकंपाती आवाज में बुजुर्ग ने अपनी व्यथा जिलाधिकारी को सुनाई.
जिलाधकारी ने दिखाए तेवर
बुजुर्ग ने यह बताया कि वो इससे पहले दो बार अपनी गुहार लेकर उनके पास आए थे, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने डीएम से इंसाफ की गुहार लगाई. मामले की जानकारी लेकर 94 साल के बुजुर्ग की शिकायत पर जिलाधिकारी मंगला प्रसाद ने तत्काल एक्शन लिया. उन्होंने लापरवाह लेखपाल और कानूनगो को निलंबित कर दिया. दरअसल, यह मामला भूमि कब्जे से जुड़ा है, जिसमें बुजुर्ग शिवकरन द्विवेदी ने दो बार शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई थी.
लेखपाल-कानूनगो पर एक्शन
फरियादी के साथ आए परिजनों ने भी बताया कि कई बार लेखपाल कानूनगो से कब्जे को लेकर गुहार लगाई गई, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया. पुलिस प्रशासन की मान मनुहार जब बेकार गई तो जिलाधिकारी की चौखट पर आना पड़ा. डीएम ने बेहद तफ्सील से बुजुर्ग से खड़े होकर पूरी बात सुनी. राजस्व के दस्तावेजों के हिसाब से जमीन विवाद को लेकर पूरा अपडेट लिया. फिर प्रथमदृष्टया लापरवाही पाए जाने के बाद डीएम ने लेखपाल और कानूनगो को निलंबित करने का फरमान सुना दिया.
राजस्व समीक्षा में सीएम का कड़ा निर्देश
गौरतलब है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी सोमवार को राजस्व मामलों की समीक्षा बैठक के दौरान कड़ा निर्देश दिया है कि जन सुनवाई जिस स्तर पर हुई है, वहां उन कर्मचारियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी. यानी पंचायत-ब्लॉक स्तर से लेकर तहसील और जिला स्तर पर सुनवाई होती है और शिकायतों का समाधान उस स्तर पर नहीं होता है तो कार्रवाई की जाएगी. इसको लेकर किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
राजस्व समीक्षा बैठक में यह पाया गया कि तहसील ब्लॉक और जिला स्तर पर शिकायतों, भूमि विवादों आदि का समाधान नहीं होता है तो इससे मामले जटिल हो जाते हैं. कई बार हिंसक घटनाएं सामने आती हैं, जिनके पीछे लंबा जमीनी विवाद सामने आता है. लिहाजा ऐसे मामले में अगर लेखपाल-कानूनगो, तहसीलदार, मजिस्ट्रेट आदि फैसले नहीं लेते हैं तो उन्हें ही जवाबदेह ठहराया जाएगा.
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