Lok Sabha Sitting arrangement: शीतकालीन सत्र चल रहा है. सदन की कार्यवाही देखी होगी तो अलग-अलग पंक्तियों में सांसद बैठे दिखाई देते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि यह कौन तय करता है कि किस सांसद को कहां बिठाया जाएगा और इसको तय करने का आधार का क्या होता है.
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Lok Sabha Sitting arrangement: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. बीते दिन यानी 4 दिसंबर को लोकसभा में कई सांसदों की सीट बदल गई. इसको लेकर कई राजनीतिक दलों ने नाराजगी जताई है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह कौन तय करता है कि किस सांसद को कहां बिठाया जाएगा और इसको तय करने का आधार का क्या होता है. सबसे पहले जानते हैं नई संसद में सांसदों के बैठने की साइड क्या है. सदन में स्पीकर के दायीं ओर सरकार और उसके गठबंधन के दल बैठते हैं जबकि विपक्षी दलों के सांसद की सिटिंग स्पीकर के बाईं ओर होती है.
सांसद कहां बैठेंगे ये कौन तय करता?
सांसदों की सिटिंग व्यवस्था को तय करने का अधिकार लोकसभा के स्पीकर के पास होता है. सांसदों के बैठने के लिए नियम बनाया गया है. लोकसभा के रूल्स ऑफ प्रोसीजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस के नियम 4 के तहत सांसदों के बैठने का क्रम तय किया जाता है. इसके लिए एक फॉर्मूला है, जिसमें पार्टी के सांसदों की संख्या और सीटों की क्षमता के आधार पर सीट अलॉट होती है. स्पीकर इसको रूल बुक और फॉर्मूले के आधार पर तय करते हैं लेकिन नियम के अनुसार ही इसको किया जा सकता है.
सांसदों की सीट का क्या फॉर्मूला?
नई संसद में लोकसभा को 8 ब्लॉक और 12 रो में बांटा गया है. यह स्पीकर के दायीं तरफ से बाई ओर 'यू' शेप में होती है. इन्हीं रो में सांसदों की सीटें होती हैं. पहली रो में 20 सीटें हैं. सांसदों के सिटिंग अरेंजमेंट का फॉर्मूला देखें तो इसके लिए जिस पार्टी के जितने सांसद होंगे उनकी संख्या को रो की कुल सीटों से गुणा कर संसद के कुल सांसदों की संख्या से भाग दिया जाएगा. जो संख्या आएगी, उस दल के उतने ही सांसद पहली पंक्ति में बैठेंगे. हालांकि यह फॉर्मूला उन्हीं दलों पर लागू होता है जिनके पास कम से कम 5 सांसद हैं.
सांसदों के बैठने में हो सकता है बदलाव
इसको हर रो में अपनाया जाता है और सीटें बांटी जाती हैं. इसके बाद इसे संबंधित दलों को भेजा जाता है. जो अपने प्रमुख नेताओं को बैठने के क्रम में तवज्जो देती हैं. इसके अलावा पार्टियों से भी सिटिंग अरेंजमेंट को लेकर सुझाव लिए जाते हैं. स्पीकर इसमें बदलाव करते हैं. कई बार ऐसा होता है कि अनुभवी सांसदों, पूर्व प्रधानमंत्री आदि को आगे की पंक्ति में जगह दी जाती है. हालांकि जिस सांसद के लिए जो सीट अलॉट की गई है, उसमें परिस्थिति को देखते हुए बदलाव भी किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर अगर सांसदों की उपस्थिति कम है या बहस पर चर्चा होनी है तो सांसद आगे आकर बैठ जाते हैं.
पहली रो में किसे कितनी सीटें?
पहली पंक्ति में कुल 20 सीटें हैं. मौजूदा समय में इनमें से 11 एनडीए( 8 बीजेपी, 1 एलजेपी, 1 जेडीएस, 1 टीडीपी) के पास है. वहीं विपक्ष के इंडी गठबंधन की पहली रो में 9 सीटें हैं, जिसमें कांग्रेस के पास 4, सपा के पास दो, टीएमसी के पास एक, डीएमके के पास 1, शिवसेना उद्धव गुट के पास 1 सीट है.
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