सम्मेलन में इसके अलावा मौजूदा हालात और वक्फ सम्पत्ति की सुरक्षा और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की मस्जिदों में नमाज़ की इजाज़त देने पर भी विचार-विमर्श किया किया गया.
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नई दिल्ली: अयोध्या मामले में आए फैसले के बाद से ही मुस्लिम संगठनों की राय पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को लेकर बंटी नज़र आ रही है. दो धड़ों में बंटे मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से कहा गया कि वो इस फैसले पर रिव्यू पिटिशन दायर करने को लाभदायक नहीं समझते. लेकिन विभिन्न संस्थाओं ने अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग करते हुए रिव्यू पिटिशन दायर करने का मन बनाया है. इसलिए, जमीयत उलेमा-ए-हिंद इसका विरोध नहीं करेगा. गौरतलब है कि इससे पहले मौलाना अरशद मदनी की तरफ से ऐलान किया गया था कि वो रिव्यू पिटिशन दायर करने का समर्थन करते हैं.
वहीं, अब मौलाना महमूद मदनी के ग्रुप वाली जमीयत उलमा-ए-हिन्द की कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें ये प्रस्ताव पास किया गया. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में देशभर से आये उलेमा और वकीलों ने विचार विमर्श के बाद कई प्रस्ताव पारित किये. सम्मेलन में इसके अलावा मौजूदा हालात और वक्फ सम्पत्ति की सुरक्षा और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की मस्जिदों में नमाज़ की इजाज़त देने पर भी विचार-विमर्श किया किया.