अयोध्या फैसले के खिलाफ जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की पुनर्विचार याचिका, कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया गया था. साथ ही अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का भी निर्देश दिया था.
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लखनऊ: अयोध्या फैसले के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद सोमवार को पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है. जमीयत-उलेमा-हिंद से जुड़े असद रशीदी की तरफ से 217 पन्नों की याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ने माना कि वहां नमाज होती थी फिर भी मुसलमानों को बाहर कर दिया. इसके साथ ही कहा गया है कि 1949 में अवैध तरीके से इमारत में मूर्ति रखी गई. फिर भी रामलला को पूरी जगह दी गई.
बताया जा रहा है कि पुनर्विचार याचिका दाखिल होने के बाद शाम 5 बजे मौलाना अरशद मदनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. गौरतलब है कि अयोध्या फैसले को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदस्यों के बीच काफी मतभेद नजर आ रहे थे. जहां कुछ सदस्यों का मानना था कि अयोध्या फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जानी चाहिए. वहीं, कुछ का कहना था कि याचिका दाखिल करना उनका हक है.
वहीं, इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) भी लगातार पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कह रहा है. हालांकि, इस मामले में बाबरी मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी लगातार पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के विरोध में स्वर उठा रहे हैं. इकबाल अंसारी ने कहा था कि अब इस मामले को खत्म कर देना चाहिए. लोगों ने खुले दिल से इसे अपना लिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया गया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के अंदर ही एक ट्रस्ट बनाने के भी आदेश दिए थे.
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