जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लगा बड़ा झटका, किसानों ने जमीन देने से किया इंकार
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जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लगा बड़ा झटका, किसानों ने जमीन देने से किया इंकार

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए पहले चरण में करीब 1334 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. किसानों ने केवल 506 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण को ही मंजूरी दी है. 

प्रतीकात्मक फोटो

नोएडा: ग्रेटर नोएडा में प्रस्तावित जेवर एयरपोर्ट को लेकर बड़ा झटका लगा है. जेवर एयरपोर्ट के लिए प्रस्तावित जमीन पर किसानों के साथ बातचीत नहीं बन पाई. सरकार की तरफ से किसानों की सहमति के लिए 31 अगस्त  आखिरी तारीख घोषित की गई थी. आखिरी दिन तक सभी किसानों को मनाने की कोशिश की गई, लेकिन कुछ किसान सरकार की शर्तों पर जमीन देने को राजी नहीं हुए. जेवर एयरपोर्ट के लिए पहले फेज में 1334 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. जानकारी के मुताबिक, पहले फेज के लिए किसानों ने केवल 506 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण को ही मंजूरी दी है. 

इस पूरे मामले को लेकर नोएडा के कलेक्टर ने कहा कि किसानों को मनाने का काम जारी है. मुझे पूरी उम्मीद है कि किसान मान जाएंगे. किसानों के साथ सकारात्मक बातचीत जारी है. कलेक्टर ने कहा कि बातचीत में 1100 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों ने सहमति दे दी है. अन्य किसानों से बातचीत जारी है. बहुत जल्द अन्य किसान भी जमीन अधिग्रहण के लिए सहमत हो जाएंगे.

नोएडा: इस वजह से जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का हो रहा है विरोध

जानकारी के लिए बता दें कि, जेवर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा के लिए राज्य सरकार की भूमि अधिग्रहण की कोशिश का कुछ किसान विरोध कर रहे हैं. इसकी मुख्य वजह किसानों से किया गया वादा पूरा नहीं किया जाना, अपर्याप्त मुआवजा और अपनी पहचान खोने का डर है. किसान अपने क्षेत्र को शहरी क्षेत्र की श्रेणी में डाले जाने से भी नाराज हैं. यह वर्गीकरण उन्हें ‘‘सर्किल रेट’’ का दोगुना मुआवजा पाने के योग्य बनाता है, जबकि भूमि अधिग्रहण पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना अधिनियम, 2013 के तहत कृषि भूमि के लिए चार गुना मुआवजे का प्रावधान है. 

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किसानों का कहना है कि यह हमारे साथ धोखा है. अगर इस क्षेत्र को शहरी क्षेत्र में नहीं डाला जाता तो उन्हें सर्किल रेट के मुकाबले चार गुना मुआवजा मिलता. लेकिन, बेवजह इस क्षेत्र के शहरी क्षेत्र की श्रेणी में डाल दिया गया है, जिसकी वजह से सर्किल रेट का केवल दोगुना ही मुआवजा मिलेगा. बता दें, पहले चरण में 1334 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण से करीब 2300 परिवार प्रभावित होंगे. जो लोग जमीन देने के लिए तैयार नहीं हैं उनकी अलग-अलग दलील हैं. हालांकि, प्रशासन के साथ बातचीत जारी है.

(इनपुट्स- पवन त्रिपाठी, जी मीडिया)

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