कड़ा धाम मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष शारदा प्रसाद पंडा ने बताया कि धाम की मिट्टी और मंदिर में स्थित पवित्र कुण्ड के जल का प्रयोग रामंदिर भूमिपूजन में किया जाएगा. उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद के इस फैसले से कौशांबी जिले के लोगों में खुशी का महौल है.
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मोहम्मद गुरफान/प्रयागराज: 5 अगस्त को अयोध्या में प्रस्तावित रामलला मंदिर निर्माण की नींव में इक्यावन शक्तिपीठ माता शीतला कड़ा धाम की मिट्टी और मंदिर में स्थित पवित्र कुण्ड के जल का भी प्रयोग किया जाएगा. विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर तीर्थ पुरोहितों का एक जत्था मिट्टी और जल लेकर यहां से जाएगा. अयोध्या में इस कलश को राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को सौंपा जाएगा.
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कड़ा धाम मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष शारदा प्रसाद पंडा ने बताया कि धाम की मिट्टी और मंदिर में स्थित पवित्र कुण्ड के जल का प्रयोग रामंदिर भूमिपूजन में किया जाएगा. उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद के इस फैसले से कौशांबी जिले के लोगों में खुशी का महौल है. 5 अगस्त से पहले धाम की मिट्टी और मंदिर में स्थित पवित्र कुंड को अयोध्या पहुंचा दिया जाएगा.
अध्यक्ष शारदा प्रसाद पंडा के मुताबिक कड़ा धाम का हिंदू संस्कृत में अहम स्थान है. जब माता सती ने अग्नि समाधि ली थी, उस समय भगवान भोलेनाथ उनकी लाश को लेकर ब्रह्मंड भाग रहे थे. इसी दौरान माता सती का दहीना हाथ यहां पर कटकर गिर गया था. इसलिए कड़ा धाम 51 शक्तिपीठों में शुमार है.
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राम मंदिर आंदोलन को याद करते हुए जगत प्रसाद पंडा भावुक हो गए है. उन्होंने कहा कि राम मन्दिर निर्माण दशकों के संघर्ष का परिणाम है. युवावस्था में अपने दर्जनों साथियों के साथ केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर शासन प्रशासन की बंदिशों को धता बताते हुए पैदल ही कारसेवा के लिए निकल पड़े थे और रास्ते में हाथ जोड़-जोड़कर लोगों से लिफ्ट लिया. कई दिनों तक भूखे रहे और जब अयोध्या पहुंचे तो पुलिस की लाठियां खाई, लेकिन संकल्प नहीं डगमगाया लाख दुश्वारियों के बाद भी हौसला आसमान को छू रहा था, अब-जब राम मंदिर बन रहा है तो मन को संतोष है और जवानी का संघर्ष फलीभूत हो रहा है.
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