यूपी की सबसे बड़ी डिफाल्टर कंपनी श्री लक्ष्मी कॉटसिन पर CBI का छापा, 6833 करोड़ की धोखाधड़ी
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यूपी की सबसे बड़ी डिफाल्टर कंपनी श्री लक्ष्मी कॉटसिन पर CBI का छापा, 6833 करोड़ की धोखाधड़ी

कानपुर के कृष्णापुरम स्थित कंपनी के मुख्यालय के अलावा, आवास विकास, काकादेव, कल्याणपुर स्थित कार्यालय व कर्मचारियों के घरों, फतेहपुर (मलवां), नोएडा और रुड़की स्थित फैक्ट्रियों और कार्यालयों में सौ से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों ने छानबीन शुरू की.

यूपी की सबसे बड़ी डिफाल्टर कंपनी श्री लक्ष्मी कॉटसिन पर CBI का छापा, 6833 करोड़ की धोखाधड़ी

कानपुर: सीबीआई ने 16 बैंकों की करीब 6833 करोड़ रुपये की डिफाल्टर कंपनी श्री लक्ष्मी कॉटसिन के 14 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा. कंपनी के मालिक एमपी अग्रवाल पर 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है. शनिवार को दिल्ली सीबीआई की टीम ने एक साथ कानपुर, फतेहपुर, हरियाणा, उत्तराखंड समेत कई प्रतिष्ठानों में एक साथ छापेमारी की गई है.

6,833 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी
एमपी अग्रवाल  के निवास और कानपुर के कृष्णापुरम स्थित कंपनी के मुख्यालय के अलावा, आवास विकास, काकादेव, कल्याणपुर स्थित कार्यालय व कर्मचारियों के घरों, फतेहपुर (मलवां), नोएडा और रुड़की स्थित फैक्ट्रियों और कार्यालयों में सौ से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों ने छानबीन शुरू की. सीबीआई ने अपने सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामलों में से एक दर्ज करते हुए कानपुर के श्री लक्ष्मी कॉटसिन और उसके अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक माता प्रसाद अग्रवाल और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर 6,833 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान करने के आरोप में मामला दर्ज किया है. 

नौ स्थानों पर छापेमारी 
मामला दर्ज करने के बाद अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई द्वारा शामिल राशि के मामले में सीबीआई द्वारा जांच की गई वर्ष की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी है, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने नोएडा, रुड़की, कानपुर और फतेहपुर में नौ स्थानों पर तलाशी ली. सीबीआई ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में संयुक्त प्रबंध निदेशक और गारंटर पवन कुमार अग्रवाल, निदेशक और गारंटर शारदा अग्रवाल और उप प्रबंध निदेशक देवेश नारायण गुप्ता को भी आरोपी बनाया है.

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झूठे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जालसाजी 
बैंक ने अपनी शिकायत में, जो अब प्राथमिकी का हिस्सा है, आरोप लगाया, "उक्त आरोपी व्यक्तियों / संस्थाओं ने धोखाधड़ी और बेईमानी से, जानबूझकर शिकायतकर्ता बैंक को धोखा दिया है. बैंक ने आरोप लगाया, आपराधिक साजिश के तहत आरोपी व्यक्तियों/संस्थाओं के साथ-साथ अज्ञात व्यक्तियों/संस्थाओं ने धन को डायवर्ट किया है और इस प्रकार सार्वजनिक धन के गबन का कार्य किया है. उन्होंने कहा कि आरोपियों ने झूठे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया और जालसाजी का काम किया.

कपड़ा व्यवसाय से जुड़ी कंपनी ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 23 सदस्यीय बैंकों के एक संघ से ऋण सुविधा प्राप्त की थी. तत्काल मामले में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 10 बैंकों ने सीबीआई से संपर्क किया है, जिसके आधार पर एजेंसी ने मामला दर्ज किया है. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 10 कंसोर्टियम सदस्य बैंकों की ओर से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर एक निजी कंपनी और उसके निदेशकों, अज्ञात लोक सेवकों और अज्ञात अन्य लोगों के खिलाफ 6833.82 रुपये के कथित नुकसान के लिए मामला दर्ज किया है.

1993 में श्री लक्ष्मी कॉट्सिन लिमिटेड की शुरुआत
एमपी अग्रवाल ने साल 1993 में श्री लक्ष्मी कॉट्सिन लिमिटेड की शुरुआत की थी. इस कंपनी ने बुलेटप्रूफ जैकेट्स, ब्लास्टप्रूफ वाहन और प्रतिरक्षा प्रोडक्ट का निर्माण करती थी. इसके बाद साल 2006 में डेनिम कपड़ों का उत्पादन कर क्रांति मचा दी. इसके बाद डेनिम कपड़े के प्रोडक्शन की क्षमता दो गुना करने के लिए 85 करोड़ का बैंक से लोन लिया.

बैंक से बड़ी रकम लोन ली गई
काम सफल रहा तो रुड़की और हरियाणा में भी यूनिटें लगाई गईं.  2006 में कंपनी ने अपनी उत्पादन क्षमता दोगुनी कर दी.  2010 में टेक्निकल टेक्सटाइल के उत्पादन के लिए सेंट्रल बैंक से 693 करोड़ रुपये, इक्विटी बाजार से 200 करोड़ और अपनी तरफ से 100 करोड़ रुपए के निवेश का खाका तैयार किया. 2010 से श्री लक्ष्मी कॉट्सिन के उल्टे दिन शुरू हो गए. टेक्निकल टेक्सटाइल के उत्पादन के लिए बैंक से बड़ी रकम लोन लेने के बाद लगाई थी, जिसमें भारी नुकसान हुआ.

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