परचून की दुकान चलाने वाले का बेटा अमेरिका में करेगा पीएचडी, मिली डेढ़ करोड़ की स्कॉलरशिप
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परचून की दुकान चलाने वाले का बेटा अमेरिका में करेगा पीएचडी, मिली डेढ़ करोड़ की स्कॉलरशिप

परचून की दुकान चलाने के बेटे को अमेरिकन यूनिवर्सिटी से डेढ़ करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप मिली है. उसका चयन ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी मे पांच साल के पीएचडी प्रोग्राम में हुआ है. दुकानदार का होनहार बेटा अमेरिका में रह कर कम्प्यूटर साइंस पर रिचर्च करेगा. 

परचून की दुकान चलाने वाले का बेटा अमेरिका में करेगा पीएचडी, मिली डेढ़ करोड़ की स्कॉलरशिप

श्याम तिवारी/कानपुर: कहते हैं मंजिलें उनको मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. इस पंक्ति को सच कर दिखाया है कानपुर के रहने वाले आकाश अवस्थी ने. परचून की दुकान चलाने के बेटे को अमेरिकन यूनिवर्सिटी से डेढ़ करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप मिली है. उसका चयन ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी मे पांच साल के पीएचडी प्रोग्राम में हुआ है. दुकानदार का होनहार बेटा अमेरिका में रह कर कम्प्यूटर साइंस पर रिचर्च करेगा. 

बिल्लौर में पिता की है परचून की दुकान
कानपुर शहर से तकरीबन 50 किमी दूर बिल्हौर कस्बे के मुनीश्वर अवस्थी मोहल्ले में प्रदीप अवस्थी परचून की दुकान चलाते हैं. इन दिनों उनके घर ही नहीं मोहल्ले में हर्ष का माहौल है. दरअसल उनके बेटे को आकाश अवस्थी को अमेरिकी में पढ़ने का मौका मिला है. आकाश ने आठवीं तक की पढ़ाई बिल्हौर कस्बे से ही की. जिसके बाद कानपुर के जयनारायण विद्या मंदिर के हॉस्टल में रह कर 12वीं तक की पढ़ाई की.

भाभा एटामिक सेंटर में काम कर चुके हैं आकाश
आकाश ने जेईई की तैयारी की लेकिन आईआईटी कानपुर में दाखिला नही मिल सका, तो तमिलनाडु के कालासिलगम विश्वविद्यालय में बीटेक में एडमिशन लिया और कम्प्यूटर साइंस में गोल्ड मेडल हासिल किया. इसके बाद आकाश को भाभा एटामिक सेंटर में काम करने का मौका मिला. उसने आईआईटी कानपुर और आईआईटी गांधी नगर में प्रोजेक्ट वर्क किया. जिसके बाद उसकी नौकरी अमेरिकन कम्पनी ग्रेड लर्निंग डाटा बैंक में लग गयी.

अब आकाश को अमेरिकी के ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से पांच साल की पीएचडी के लिए डेढ़ करोड़ की स्कॉलरशिप मिली है. जिससे उसके परिवार के लोग खासे खुश नजर आ रहे हैं. 

आकाश की उपलब्धि पर परिजनों ने जताई खुशी
आकाश के पिता प्रदीप अवस्थी का कहना है कि उन्होंने कभी यह नहीं सोचा कि उनका बेटा व्यापार सम्भाले. उन्होंने आकाश की उपलब्धि का श्रेय उसकी मां पूनम को दिया. प्रदीप कहते हैं कि आकाश को कानपुर भेज कर पढ़ाई करने के फैसला उसकी मां का ही था. जिसके बाद उन्होंने उसकी हर मांग को पूरा करने की कोशिश की. बेटे ने भी अपनी कड़ी मेहनत से कभी निराश नहीं किया. 

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