Kanpur Defence Corridor Second Phase:कानपुर में डिफेंस कॉरिडोर का विस्तार होने वाला है. डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना के साढ़ स्थित कानपुर नोड के विस्तार की दिशा में कदम बढ़े हैं.
दूसरे चरण में घाटमपुर तहसील के रामसारी गांव, घाटमपुर चीनी मिल और आसपास की 234 हेक्टेयर जमीन मिल गई है. सड़क निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) ने प्रक्रिया शुरू कर दी है.
डिफेंस कॉरिडोर के दूसरे चरण के लिए पहले साढ़ से सटे गोपालपुर, दौलतपुर व मोहीपुर में 186 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना था. किसानों ने पीएम और सीएम तक पोर्टल के जरिए आपत्ति जताई थी तो नए स्थान पर जमीन चिह्नांकन पर सहमति बनी.
17 अप्रैल, 2025 को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की विकास की बैठक में एडीएम वित्त एवं राजस्व ने रिपोर्ट दी कि डिफेंस कॉरिडोर के लिए घाटमपुर तहसील के तहत चीनी मिल के स्वामित्व वाली 83.89 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है.
इसके अलावा रामसारी गांव की 127.62 हेक्टेयर निजी भूमि व 22.87 हेक्टेयर सरकारी जमीन समेत 150.49 हेक्टेयर जमीन और मिली है. इसका प्रस्ताव 11 अप्रैल, 2025 को यूपीडा को भेजा जा चुका है, जिस पर काम शुरू होगा.
यह जमीन साढ़-घाटमपुर मार्ग व कानपुर-सागर राजमार्ग के पास स्थित होने से आवाजाही भी आसान होगी. 2023 मार्च में डिफेंस इंडस्ट्रियल कारिडोर परियोजना के पहले चरण की भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है.
1500 करोड़ रुपये निवेश कर अदाणी समूह ने पहली यूनिट 250 एकड़ में शुरू कर दी है. 41 तरह के हथियारों में हल्के एयरक्राफ्ट, तोप, एके-47, कार्बाइन, पिस्टल, ड्रोन, गोलियां-गोले व यूएवी ड्रोन, बन रहे.
2 यूनिट अदाणी समूह और बना रहा है, जिनमें लगभग तीन हजार करोड़ रुपये निवेश होगा. 25 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके से वर्तमान में रोजगार मिल रहा है. आने वाले समय में ये एक से डेढ़ लाख हो जाएगा.
बुंदेलखंड के चित्रकूट में जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो गया है. ड्रोन मिसाइल, गोलियों के साथ सेना के लिए विशेष गाड़ियां, हथियार, टैंक आदि यहां बनेंगे.
इसके लिए 6 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लिए कंपनियां आगे आई हैं. ऐसे ही झांसी में भी तेजी से डिफेंस कॉरिडोर आकार ले रहा है, जो आने वाले समय में रक्षा उत्पादन को और सुदृढ़ करेगा.
उत्तर प्रदेश बहुत जल्द देश को सैन्य हथियार देने वाला सबसे बड़ा राज्य बनेगा. यूपी में डिफेंस कॉरिडोर के तहत 6 अलग-अलग शहरों में सेना के हथियार और उपकरण तैयार होंगे. जिसमें ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर रडार तक बनेंगे.