एनएचएआई अधिकारियों के मुताबिक, लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे का सिविल का काम 31 जुलाई तक पूरा कर लिया गया है. 90 फीसदी काम खत्म कर लिया गया है. 10 फीसदी काम जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा.
एनएचएआई के मुताबिक, वर्तमान में 18 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड लंबे पुल का निर्माण पूरा कर लिया गाय है. 45 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का भी काम लगभग पूरा कर लिया गया है.
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे करीब 63 किलोमीटर लंबा होगा. इसके बनने के बाद लखनऊ से कानपुर की दूरी 40 मिनट में पूरा कर हो जाएगा. लखनऊ-कानपुर के आसपास के जिलों को भी फायदा होगा.
इस एक्सप्रेसवे के बनने से लखनऊ, उन्नाव, कानपुर, सुल्तानपुर, रायबरेली, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी सहित एक दर्जन अधिक जिलों को फायदा होगा.
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे को दारोगा खेड़ा के पास आउटर रिंग रोड से जोड़ा जा रहा है. यहां स्लिप रोड बना दी गई हैं. यात्री आउटर रिंग रोड से यहां सीधे उतर सकेगा.
इसके बाद यहीं से लखनऊ से सटे हुए जिलों में जाने के लिए यहीं से सीधे आउटर रिंग रोड के जरिए अपने गंतव्य को जा सकेगा. लोगों को समय की बचत होगी.
इसकी वजह से हल्के और भारी वाहनों को शहर में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. वह सीधे आउटर रिंग रोड के जरिए बाहर ही बाहर निकल जाएंगे.
एनएचएआई के अधिकारियों के मुताबिक, जहां रैंप होंगे, वहीं टोल प्लाजा होगा. लखनऊ से कानपुर तक कुल पांच टोल प्लाजा बनाए जाएंगे. लखनऊ से एक्सप्रेसवे पर प्रवेश करते ही पहला टोल प्लाजा मीरनपुर पिनवट के पास होगा.
वहीं, दूसरा टोल खंडेदेव पर बनेगा. इसके बाद तीसर टोल बनी के पास और चौथा टोल उन्नाव-लालगंज के पास पड़ने वाले अमरसास गांव के पास और अंतिम यानी पांचवां टोल आजाद नगर के पास बनेगा.
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे अगस्त महीने में शुरू हो सकता है. पीएम मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और परिवहन मंत्री नितिन गड़करी हरी झंडी दिखा सकते हैं.
63 किलोमीटर लंबे लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे के लिए 43 गांवों की जमीन अधिग्रहण किया गया है. इन किसानों को मुआवजा दिया गया है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.