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कानपुर-कबरई ग्रीन हाईवे विकास को देगा हाईस्पीड, 96 गांव के किसान होंगे मालामाल! सरकार खर्च करेगी 3700 करोड़ रुपये

कानपुर समेत  इन जिलों के लिए अच्छी खबर सामने आई है. जहां पर 112 किलोमीटर लंबा चार लेन का ग्रीन हाईवे प्रस्तावित है. इससे स्थानिय लोगों को रोजगार मिलेगा और साथ ही जाम की समस्या से मुक्ति मिलेगी. 

 

हाईवे की कुल लंबाई और लागत

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हाईवे की कुल लंबाई और लागत

कानपुर से कबरई तक 112 किलोमीटर लंबा चार लेन का ग्रीन हाईवे प्रस्तावित है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 3700 करोड़ रुपये है. आइए जानते हैं यह हाईवे कानपुर समेत किन-किन जिलों से होकर गुजरेगा. 

डीपीआर और बजट स्वीकृति की स्थिति

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डीपीआर और बजट स्वीकृति की स्थिति

ग्रीन हाईवे परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) और बजट अभी स्वीकृति की प्रक्रिया में हैं. एनएचएआई  को उम्मीद है कि 25 जून 2025 तक DPR और बजट को मंजूरी मिल जाएगी. इस स्वीकृति के बाद निर्माण कार्य की शुरुआत किया जाएगा. 

परियोजना की समीक्षा और निरीक्षण

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परियोजना की समीक्षा और निरीक्षण

सड़क परिवहन मंत्रालय के प्रशासनिक सदस्य आईएएस विशाल चौहान ने हाल ही में प्रस्तावित मार्ग का स्थलीय निरीक्षण किया. उन्होंने एनएचएआई अधिकारियों के साथ बैठक भी की और विस्तृत रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी गई है. यह निरीक्षण परियोजना की प्रगति और संभावनाओं का मूल्यांकन करने के उद्देश्य से किया गया था.

पहले से मिली प्राथमिक स्वीकृति

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 पहले से मिली प्राथमिक स्वीकृति

मार्च 2025 में इस हाईवे को राष्ट्रीय योजना समूह (NPG) की ओर से प्राथमिक स्वीकृति मिल चुकी है. यह स्वीकृति केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के आदेश के बाद दी गई थी, जिसके बाद हाईवे की रूपरेखा बननी शुरू हुई.  ब DPR और बजट मंजूरी के बाद निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है.

निर्माण की भौगोलिक दिशा और लाभ

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निर्माण की भौगोलिक दिशा और लाभ

यह ग्रीन हाईवे कानपुर नगर से शुरू होकर फतेहपुर, हमीरपुर और महोबा जिलों के 96 गांवों से होकर गुजरेगा. इस मार्ग से ग्रामीण इलाकों का संपर्क सुधरेगा और यातायात का बोझ मुख्य राष्ट्रीय राजमार्गो से हटकर इस वैकल्पिक रूट पर स्थानांतरित होगा. यह बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जैसा आधुनिक और सुव्यवस्थित मार्ग होगा. 

ग्रीन हाईवे का मुख्य उद्देश्य है

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ग्रीन हाईवे का मुख्य उद्देश्य है

ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ते हुए विकास के नए अवसर पैदा करना.यह मुख्यतः घनी आबादी वाले शहरी इलाकों से हटकर खेतों, गांवों और कम ट्रैफिक वाले इलाकों से होकर बनाया जाता है. इससे नए इलाके सड़क नेटवर्क से जुड़ते हैं, स्थानीय रोजगार और आवागमन की सुविधा में इजाफा होता है. 

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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