khumbh mela: रहीम-रसखान और कलाम का क्या....महाकुंभ में मुसलमानों के तिरस्कार पर शंकराचार्य ने उठाए सवाल
Prayagraj News: पुरी पीठ के शंकराचार्य ने महाकुंभ क्षेत्र में मुस्लिमों के प्रवेश बैन की मांग पर बड़ा बयान दिया. वक्फ बोर्ड के समान सनातन बोर्ड की मांग पर उन्होंने उपयोगिता सिद्ध करने की बात कही. कल्पवासियों को संगम क्षेत्र से दूर बसाए जाने को लेकर मेला प्रशासन की आलोचना की. आइए जानते हैं पूरा मामला विस्तार से
Prayagraj News: शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महराज ने महाकुंभ क्षेत्र में मुस्लिमों की प्रवेश पर बैन की मांग को लेकर बड़ा बयान दिया है. जिन रसखान, रहीम और वैज्ञानिक कलाम कोटि के मुसलमान हैं, उन्होंने कहा कि जिनका जन्म मुस्लिम कुल में हुआ है और वे रहीम, रसखान और वैज्ञानिक कलाम कोटि के थे, उनका तिरस्कार मुसलमान के नाम पर नहीं होना चाहिए.
शंकराचार्य ने कहा कि मक्का में मक्केश्वर महादेव हैं, गीता प्रेस से शिव पुराण में विस्तार से उल्लेखित है, लेकिन मक्का-मदीना मुसलमानों के तीर्थ स्थान बन गए हैं. वहां हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है, और इस तरह की नकल मुसलमानों पर यहां भी प्रतिबंध लगाने की कोशिश हो रही है. दुकानों में ज्यादातर मुसलमान ही व्यवसाय कर रहे हैं, जिससे आय का स्रोत भी वे ले जाते हैं. इसलिए अगर हिन्दू दुकानें लगाना चाहें तो यह उचित मांग है.
महाकुंभ क्षेत्र में कल्पवासियों को संगम क्षेत्र से दूर बसाए जाने पर उन्होंने मेला प्रशासन की आलोचना की और कहा कि जिनके नाम पर मेला आयोजित होता है, उन्हें वीआईपी के नाम पर हटा देना उचित नहीं है. माघ में निवास करने वाले कल्पवासी तपस्वी होते हैं, मांस और मदिरा से दूर रहते हैं, और सर्दी में भी ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करते हैं. उनके नाम से ही मेले की प्रसिद्धि है, उन्हें हटाना अनुचित है.
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