Shringverpur Dham: योगी सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही है. प्रयागराज महाकुंभ को भव्य और दिव्य बनाने में जुटी योगी सरकार ने एक और डेस्टिनेशन तैयार कर दिया है.
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Shringverpur Dham: प्रयागराज महाकुंभ को भव्य और दिव्य बनाने के लिए योगी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है. पीएम मोदी महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने प्रयागराज जाएंगे. यहां पीएम मोदी श्रृंगवेरपुर धाम जाएंगे. श्रृंगवेरपुर धाम को नया स्वरूप दिया जा रहा है. कुल मिलाकर प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर नया डेस्टिनेशन बनने जा रहा है. यह डेस्टिनेशन त्रेतायुग की याद दिलाएगा. तो आइये जानते हैं श्रृंगवेरपुर धाम की खासियत?.
श्रृंगवेरपुर धाम की खासियत
प्रयागराज स्थित श्रृंगवेरपुर धाम अब धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ-साथ ग्रामीण पर्यटन का केंद्र बन रहा है. निषादराज गुह्य की ऐतिहासिक राजधानी श्रृंगवेरपुर को एक भव्य स्वरूप प्रदान किया जा रहा है. इस धाम में भगवान श्रीराम और निषादराज की मित्रता की गाथा को जीवंत रूप में देखने का अवसर मिलेगा. योगी सरकार अयोध्या में भव्य राम मंदिर के बाद श्रृंगवेरपुर धाम का भी विकास करने जा रही है. प्रयागराज महाकुंभ से पहले श्रृंगवेरपुर धाम का जीर्णोद्धार होगा.
कैसे पहुंचे श्रृंगवेरपुर धाम
श्रृंगवेरपुर धाम यूपी के प्रयागराज जिले में लखनऊ रोड पर स्थित है. प्रयागराज शहर से इसकी दूरी महज 40 से 45 किलोमीटर दूर है. रामायण काल में यह निषादराज की राजधानी हुआ करती थी. उत्तर प्रदेश पर्यटन की आधिकारिक बेवसाइट पर भी प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर धाम के बारे में जानकारी मिलती है.
संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, श्रृंगवेरपुर में श्रृंगी ऋषि का आश्रम था. राजा दशरथ ने संतान की प्राप्ति के लिए श्रृंगवेरपुर में श्रृंगी ऋषि से संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था. उस यज्ञ में खीर बनाई गई थी, जिसे राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा को प्रसाद स्वरूप दिया था. खीर खाने के बाद राजा दशरथ को प्रभु राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के रूप में चार पुत्र प्राप्त हुए.
निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, माता कैकेयी की इच्छा और पिता दशरथ की आज्ञा पर भगवान राम, पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन के लिए निकले. वन जाते समय तब भगवान राम निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर में भी आए थे. यहां से ही उनको गंगा नदी पार करके आगे जाना था. रामायण में भी इस घटना का जिक्र है. साथ ही श्रृंगवेरपुर का भी जिक्र है. कहा जाता है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण गंगा को पार करना चाहते थे, लेकिन मांझी ने उनको नदी पार नहीं कराई. उसे डर था कि उसकी नाव कहीं स्त्री न बन जाए क्योंकि उससे पहले प्रभु राम ने शिला बनी अहिल्या का उद्धार किया था.
प्रभ राम ने रात बिताई
ऐसे में उसकी रोजी-रोटी कैसे चलेगी? इस वजह से प्रभु राम को इस क्षेत्र में एक रात बितानी पड़ी. तब निषादराज ने शर्त रखी कि वे नाव में तभी तीनों को चढ़ाएंगे, जब प्रभु राम अपना चरण धोने की अनुमति देंगे. इसके बाद निषादराज ने भगवान राम के पांव धुल कर उस जल को पी लिया. प्रभु राम की कृपा से वह धन्य हो गए और बदले में उसे श्रीराम की मित्रता मिली. उसके बाद प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण गंगा पार कर आगे बढ़े. जहां पर निषादराज ने श्रीराम के पैर धोए थे, उस स्थान पर आज एक मंच बना हुआ है. आज भी नि:संतान लोग श्रृंगवेरपुर धाम आते हैं. यहां पूजा-पाठ करते हैं. खीर और रोट का भोग लगाते हैं. इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण भी करते हैं.
डिस्क्लेमर: यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. zeeupuk इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.