लोकसभा चुनाव 2019: उन्नाव कभी था कांग्रेस का गढ़, 2014 की जीत को क्या कायम रख पाएगी BJP!
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लोकसभा चुनाव 2019: उन्नाव कभी था कांग्रेस का गढ़, 2014 की जीत को क्या कायम रख पाएगी BJP!

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अरुण शंकर शुक्ला को मात देकर बीजेपी के साक्षी महाराज यहां से सांसद बने.

लोकसभा चुनाव 2019: उन्नाव कभी था कांग्रेस का गढ़, 2014 की जीत को क्या कायम रख पाएगी BJP!

नई दिल्ली: कानपुर शहर से लगे हुआ उन्नाव चमड़े के कामों के लिए भारत में मशहूर है. उन्नाव लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और औद्योगिक नगरी कानपुर से सटी हुई है. यहां की सियासत पर अभी बीजेपी का कब्जा है. 1857-1858 के आजादी के संघर्ष के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन तक सत्ता का हस्तांतरण किया गया. जैसे ही आदेश बहाल किया गया था, नागरिक प्रशासन को जिले में फिर से स्थापित किया गया था, जिसका नाम उन्नाव नाम था. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अरुण शंकर शुक्ला को मात देकर बीजेपी के साक्षी महाराज यहां से सांसद बने.

2014 का समीकरण
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्नाव संसदीय सीट पर 55.52 प्रतिशत मतदान हुआ. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार साक्षी महाराज ने समाजवादी पार्टी के अरुण शुक्ला को करीब 3 लाख मतों से मात देकर जीत हासिल की थी. 2014 में दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी, तीसरे स्थान पर बीएसपी और चौथे नंबर पर कांग्रेस रही थी. 

ये है उन्नाव का राजनीतिक इतिहास 
उन्नाव लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में पहली बार 1952 में चुनाव हुए थे, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विश्वम्भर दयाल त्रिपाठी पहले सांसद बने थे. साल 1952-1971 तक यहां कांग्रेस का ही कब्जा रहा. लेकिन 1977 के चुनाव में जनता दल ने यहां पर कांग्रेस का विजय रथ रोका दिया. लेकिन, साल 1980 में फिर कांग्रेस ने वापसी की और 1984 के चुनावों में भी इस सीट पर प्रभुत्व बनाए रखा. 1989 में हुए चुनावों में जनता दल ने अनवर अहमद को उतारकर कांग्रेस से यह सीट छीन ली. 1991 में पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर अपना कमल खिलाया और देवीबक्श सिंह यहां से सांसद चुने गए. इसके बाद 1996, 1998 में बीजेपी के पास ही ये संसदीय सीट रही. 1999 में सपा ने बीजेपी के विजयी रथ को रोका. साल 2004 में पहली बार बीएसपी इस सीट को जीतने में सफल हुई. इसके बाद कांग्रेस ने 2009 में अनु टंडन के जरिए एक बार फिर वापसी की, लेकिन 2014 में मोदी लहर में बीजेपी ने साक्षी महाराज को उतारकर जीत हासिल की.

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