लखनऊ: कोरोना महामारी के दौरान क्रिटिकल पेशंट के लिए सबसे ज्यादा मांग रेमडेसिविर इंजेक्टशन की है. इसलिए इस दवा की ब्लैक मार्केटिंग भी खूब हो रही है. लखनऊ की मड़ियांव पुलिस ने मंगलवार रात बैंक कर्मचारी बांके बिहारी नाम के शख्स को रेमडेसिविर इंजेक्शन की ब्लैकमार्केटिंग के आरोप में गिरफ्तार किया.


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पुलिस टीम ने बांके बिहारी के पास से रेमडेसिविर की 12 शीशियां बरामद की हैं. इंस्पेक्टर मड़ियांव मनोज सिंह ने बताया कि आरोपी विकासनगर का रहने वाला है. वह सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर लोगों से संपर्क करता था. जरूरतमंदों का फोन आने पर उन्हें तय स्थान पर बुलाता था और 15 से 20 हजार रुपये में रेमडेसिविर की डिलीवरी देता था. 


बैंक ऑफ बड़ौदा का कर्मचारी नहीं ​है आरोपी बांके बिहारी
आरोपी को बैंक ऑफ बड़ौदा ब्रांच पत्रकारपुरम लखनऊ का असिस्टेंट मैनेजर बताया गया, लेकिन यह दावा गलत है. बैंक ऑफ बड़ौदा ने बयान जारी कर कहा है कि बांके बिहारी नाम कोई अधिकारी या कर्मचारी उसके पत्रकारपुरम ब्रांच और पूरे लखनऊ के किसी भी ब्रांच में कार्यरत नहीं है.


जिसको बेचे थे तीन रेमडेसिविर उसकी मां को हुआ रिएक्शन
इंस्पेक्टर मड़ियांव ने बताया कि लखीमपुर खीरी के खमरिया ईसानगर निवासी मनोज कुमार की मां हिंद मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं. डॉक्टरों ने रेमडेसिविर जरूरत बताई. किसी के माध्यम से मनोज को बांके बिहारी के बारे में जानकारी हुई. मनोज ने उससे संपर्क किया. बांके बिहरी ने 15 हजार रुपये प्रति इंजेक्शन के हिसाब से उससे 45 हजार रुपये लिए. 


इंस्पेक्टर ने बांके बिहारी को कालाबाजारी करते रंगे हाथ पकड़ा
मनोज के मुताबिक जब उसकी मांग को बांके बिहारी का दिया इंजेक्शन लगा तो उन्हें रिएक्शन हो गया. डॉक्टरों ने इंजेक्शन नकली होने का शक जताया. मनोज ने दारोगा जफर मेहंदी को इस बारे में जानकारी दी. दारोगा ने मनोज से कहा कि वह बांके बिहारी से एक और रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड करे. मनोज ने कॉल किया तो बांके बिहारी ने उसे डिलीवरी देने के लिए इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे के पास बुलाया. दारोगा ने पुलिस टीम के साथ घेराबंदी कर बांके बिहारी को गिरफ्तार कर लिया. गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है.


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