यूपी के गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी, केंद्र सरकार ने लाभकारी मूल्य बढ़ाया, जानें अब कितने रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा दाम
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यूपी के गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी, केंद्र सरकार ने लाभकारी मूल्य बढ़ाया, जानें अब कितने रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा दाम

CM Yogi on Modi Cabinet Decsions: मोदी सरकार ने बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गन्ने का लाभकारी मूल्य बढ़ा दिया है. अक्टूबर से शुरू होने वाले 2025-26 सत्र के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 4.41 प्रतिशत बढ़ा दिया है जिससे यूपी समेत देश के 5 करोड़ किसानो और 5 लाख चीनी मिल श्रमिकों को लाभ होगा. 

यूपी के गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी, केंद्र सरकार ने लाभकारी मूल्य बढ़ाया, जानें अब कितने रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा दाम

Lucknow News: केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाले गन्ना सत्र 2025-26 के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 4.41 प्रतिशत बढ़ाकर ₹355 प्रति क्विंटल कर दिया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में लिया गया.

यूपी समेत देश के 5 करोड़ किसानों को लाभ
वर्तमान 2024-25 सत्र के लिए एफआरपी ₹340 प्रति क्विंटल तय है, जिसे बढ़ाकर अब ₹355 किया गया है. इस बढ़ोतरी का सीधा लाभ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित देशभर के लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और 5 लाख चीनी मिल श्रमिकों को मिलेगा.

एफआरपी तय करने में गन्ने की चीनी प्राप्ति दर को आधार बनाया गया है. 10.25 प्रतिशत चीनी प्राप्ति दर पर यह नया एफआरपी लागू होगा. यदि चीनी की प्राप्ति दर इससे अधिक होती है तो प्रत्येक 0.1 प्रतिशत वृद्धि पर किसानों को ₹3.46 प्रति क्विंटल अतिरिक्त भुगतान मिलेगा. वहीं, दर घटने पर भी इसी अनुपात में एफआरपी में कटौती की जाएगी, लेकिन न्यूनतम भुगतान ₹329.05 प्रति क्विंटल तय किया गया है.

सरकार ने बताया कि 2025-26 सत्र में गन्ने की औसत उत्पादन लागत ₹173 प्रति क्विंटल है. ऐसे में नया एफआरपी लागत से 105.2 प्रतिशत अधिक है, जो किसानों के लिए लाभकारी साबित होगा.

सीएम योगी ने किया मोदी सरकार के फैसले का स्वागत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस फैसले का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया. उन्होंने अपने X हैंडल पर लिखा, "यह फैसला किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."

गौरतलब है कि एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य होता है, जिसे चीनी मिलों को किसानों को देना अनिवार्य होता है. इसे कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों और राज्यों व अन्य हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद तय किया जाता है.

इस निर्णय से चीनी उद्योग से जुड़े करोड़ों लोगों की आजीविका को मजबूती मिलेगी.

 

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