UP News: ड्राइविंग लाइसेंस में हेराफेरी बंद होगी, तय डॉक्टर ही बनाएंगे मेडिकल सर्टिफिकेट, लखनऊ में बना पांच डॉक्टरों का पैनल
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UP News: ड्राइविंग लाइसेंस में हेराफेरी बंद होगी, तय डॉक्टर ही बनाएंगे मेडिकल सर्टिफिकेट, लखनऊ में बना पांच डॉक्टरों का पैनल

Driving Licence Rules: ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) के नवीनीकरण के लिए जरूरी मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर अब फर्जीवाड़ा नहीं हो पाएगा. चिकित्सा प्रमाणपत्र परिवहन विभाग द्वारा तयशुदा डॉक्टर ही बना पाएंगे. सरकार ने लखनऊ में ऐसे डॉक्टर चिन्हित किए हैं. 

Lucknow News
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Lucknow News: ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकरण के लिए पांच डॉक्टरों के नाम मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए तक कर लिए गए हैं. आगे और डॉक्टरों के नाम भी जोड़े जाएंगे.  यह कदम डीएल नवीनीकरण प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए उठाया गया है. इन डॉक्टरों के सर्टिफिकेट को ही लखनऊ में डीएल रिन्यूअल के लिए मान्य किया जाएगा. ऐसे में अब डीएल में मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर होने वाली धांधली पर लगाम लगेगी.

सरकार द्वारा अधिकृत डॉक्टर जारी करेंगे सर्टिफिकेट
अब, डीएल नवीनीकरण के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट केवल उन डॉक्टरों द्वारा जारी किए जा सकेंगे जिनके नाम सरकार द्वारा अधिकृत किए गए हैं.  यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच और वेरिफिकेशन ठीक से किया जाए और डीएल नवीनीकरण प्रक्रिया में कोई अनियमितता न बरती जाए.

इन डॉक्टरों के नाम तय
ट्रांसपोर्ट नगर एआरटीओ प्रशासन (ARTO) के मुताबिक जिन 5डॉक्टर्स के नाम पैनल में शामिल हैं, इनमें लोकबंधु अस्पताल आशियाना के डॉ. परमानंद, टीबी अस्पताल ठाकुरगंज की डॉ. रंजना बाला, सीएचसी सरोजिनीनगर के डॉ. धर्मेंद्र कुमार मौर्या, काकोरी सीएचसी के डॉ.  डॉ. अंशुल किशोर गौतम और चंदरनगर सीएचसी आलमबाग के डॉ. अनित विक्रम सिंह भी पैनल में शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक इनकी आईडी (ID) भी बन गई है. अब डॉक्टर मुआयना करने के बाद मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करेंगे. सर्टिफिकेट सारथी पोर्टल पर ऑनलाइन भी अपलोड होंगे.

डॉक्टर ही होंगे जिम्मेदार 
परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक डॉक्टरों के जिस पैनल को लाइसेंस रिन्यूअल के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने का जिम्मा दिया गया है, अगर उसमें किसी तरह की भी कोई गड़बड़ी होती है या फिर किसी तरह की शिकायत आती है तो इसके लिए सीधे तौर पर डॉक्टर ही जिम्मेदार भी होंगे.अधिकारियों का मानना है कि इससे डीएल में मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर होने वाली धांधली को रोका जा सकेगा. इसका फायदा यह मिलेगा कि जो व्यक्ति मेडिकल फिट नहीं होगा वह जुगाड़ से मेडिकल सर्टिफिकेट जारी नहीं करा पाएगा. 

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