लखनऊ:  बसपा सरकार में हुए करीब 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में सतर्कता अभियान (विजीलेंस) की जांच ने एक बार फिर से रफ्तार पकड़ ली है. जांच में बीएसपी (BSP) के पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिहं कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. इन दोनों को 1400 करोड़ के स्मारक घोटाले में विजिलेंस का नोटिस मिला है. इनके अलावा 3 दर्जन से अधिक सरकारी अफसरों को भी नोटिस भेजा गया है.  


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विजिलेंस ने बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस
जानकारी के मुताबिक इस महीने के तीसरे हफ्ते में दोनों से पूछताछ की जा सकती है. लखनऊ और नोएडा में बने अंबेडकर स्मारक घोटाले में विजिलेंस ने ये नोटिस दिया है. पत्थर सप्लाई मामले में विजिलेंस ने बयान दर्ज कराने के लिए ये नोटिस भेजा है.


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अब तक 23 आरोपी भेजे जा चुके हैं जेल
बता दें कि 2013 से चल रही है स्मारक घोटाले की जांच में अब तक 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. वहीं 6 के खिलाफ अक्टूबर 2020 में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. विजिलेंस के साथ प्रवर्तन निदेशालय भी घोटाले की जांच कर रहा है. ईडी ने स्मारक घोटाले में पीएमएलए का मामला भी दर्ज किया था. लखनऊ में इंजीनियरों और ठेकेदारों की संपत्तियों को भी कुर्क किया था.


सबसे पहले लोकायुक्त संगठन ने की स्मारक घोटाले की जांच 
लखनऊ में बने अंबेडकर उद्यान में मीरजापुर से गुलाबी पत्थरों की आपूर्ति हुई थी. करीब 8 साल से चल रही स्मारक घोटाले की विजिलेंस जांच को अंतिम चरण तक पहुंचाने के लिए दोनों पूर्व मंत्रियों से कई अहम बिंदुओं पर पूछताछ की जानी है. गौरतलब हो कि स्मारक घोटाले की जांच सबसे पहले लोकायुक्त संगठन ने की थी और मई 2013 में अपनी जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी. लोकायुक्त जांच में करीब 1400 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था.


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