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लखनऊ में बनेगा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क, 7500 करोड़ खर्च, गोंडा-अयोध्या से सुल्तानपुर-वाराणसी तक बुलेट स्पीड से दौड़ेंगी ट्रेनें

लखनऊ में साढ़े सात हजार करोड़ की लागत से देश का पहला ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर बन रहा है जिससे 7 सात रूट जोड़े जाएंगे, ताकि जिन ट्रेनों का स्टॉपेज लखनऊ में नहीं हैं वो शहर के बाहर से बाहर अपनी गंतव्य के निकल सकें. इससे रेल यात्रियों का भी काफी समय बचेगा.

लखनऊ ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर

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लखनऊ ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर

ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर में लखनऊ शहर के 20-25 किलोमीटर बाहर से ही रिंग रोड टाइप का स्ट्रक्चर बनेगा, जिसके चलते लंबे रूट की ट्रेनों को लखनऊ के अंदर जाकर बाहर आने की जरूरत नहीं होगी. यानी अगर कोई कानपुर से बाराबंकी जा रहा है तो उसे लखनऊ आने की जरूरत नहीं होगी वो बाहर से बाहर बाराबंकी चला जाएगा. 

लखनऊ नहीं रुकने वाली गाड़ियां बाहर से ही निकल जाएंगी

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लखनऊ नहीं रुकने वाली गाड़ियां बाहर से ही निकल जाएंगी

रिंग नेटवर्क बन जाने से सबसे बड़ी सहूलियत यह होगी कि लखनऊ में नहीं रुकने वाली गाड़ियां बाहर से ही निकल जाएंगी, जिससे लखनऊ शहर के अंदर बने स्टेशनों की कैपेसिटी ठीस से इस्तेमाल हो सकेगी और स्टेशनों पर ट्रेनों का ज्यादा दबाव नहीं रहेगा.

यात्रियों के 30-40 मिनट बचेंगे

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यात्रियों के 30-40 मिनट बचेंगे

रिंग रोड के रूट मैप से बाकी जो दूरियां हैं उनमें तो कोई खास अंतर नहीं होगा लेकिन टाइम में सबसे ज्यादा फायदा होगा. इससे यात्रियों के 30 से 40 मिनट तक बचेंगे. 

ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर से जुड़ेंगे ये रूट

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ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर से जुड़ेंगे ये रूट

लखनऊ- शाहजहांपुर-मुरादाबाद, ऐशबाग-डालीगंज-सीतापुर सिटी, लखनऊ-बाराबंकी-गोंडा, लखनऊ-बाराबंकी-अयोध्या, लखनऊ-सुल्तानपुर- वाराणसी, लखनऊ-रायबरेली-वाराणसी

कितना लंबा होगा ऑर्बिटल रेल ट्रैक

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कितना लंबा होगा ऑर्बिटल रेल ट्रैक

ऑर्बिटल रेल ट्रैक 70 किलोमीटर लंबा होगा जो सभी टर्मिनलों से कनेक्ट रहेगा. ऑर्बिटल रेल ट्रैक मल्हौर, गोमती नगर, आलमनगर, मानक नगर, उतरेटिया, के साथ बाराबंकी से भी जुड़ेगा. खास बात यह है कि चाहें गाड़ी किसी भी जिले से आ रही हो वो दूसरे जिले में आसानी से जा सकेगी. 

मेगा रेल लॉजिस्टिक्स पार्क का निर्माण होगा

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मेगा रेल लॉजिस्टिक्स पार्क का निर्माण होगा

जैसा कि आगरा एक्सप्रेसवे की ओर लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण प्रस्तावित है  तो इस कॉरिडोर को उद्योगों से भी कन्नेक्ट किया जाएगा. ताकि लॉजिस्टिक पार्क से माल की लोडिंग और अनलोडिंग में समय की बचत हो सके. 

ट्रेनों को आउटर पर नहीं रोकना पड़ेगा

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ट्रेनों को आउटर पर नहीं रोकना पड़ेगा

अभी लखनऊ और ऐशबाग स्टेशनों से 9 फीसद मालगाड़ी और 70-80 फीसद यात्री ट्रेन गुजरती हैं. मालगाड़ी गुजरती हैं तो ट्रेनों का आउटर पर रोकना पड़ता है, लेकिन इस कॉरिडोर के बन जाने से मालगाड़ी शहर के स्टेशनों पर तभी आएंगी जब जरूरी होगा. 

कितने समय में पूरा होगा सर्वे

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कितने समय में पूरा होगा सर्वे

लखनऊ में 7.5 हजार करोड़ की लागत से देश का पहला ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर बनने जा रहा है. 7 रुट वाले इस कॉरिडोर के लिए सर्वे का काम भी 7 महीने में ही पूरा होगा. 

2031 तक पूरा होगा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर

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2031 तक पूरा होगा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर

ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे कराने की मंजूरी दी गई है ये प्रोजेक्ट 2031 तक पूरा होगा. इसके बन जाने से लकनऊ के चारबाग, लखनऊ जंक्शन और लखनऊ के ऐशबाग जंक्शन पर ट्रेनों का दबाव कम होगा. 

सड़क परिवहन पर निर्भरता कम होगी

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सड़क परिवहन पर निर्भरता कम होगी

लखनऊ ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर बन जाने से उद्योगा और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, तो वहीं सड़क परिवहन पर निर्भता भी कम हो जाएगी.  क्योंकि यह शहर के बाहरी इलाकों को भी रेल नेटवर्क से जोड़ेगा.

Disclaimer

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Disclaimer

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

 

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