बड़े शहर यानी नगर निगमों में पार्किंग बहुत समस्या और अनियमितता भी बहुत है. अक्सर देखा जाता है कि पार्किंग केवल आधा घंटा या कुछ घंटों के लिए की गई लेकिन शुल्क चुकाना पड़ता है पूरी दिन का.
लखनऊ, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जैसे नगर निगमों में नई पार्किंग नियमावली लागू की गई है. योगी कैबिनेट द्वारा 7 मई को स्वीकृत नगर निगम (पार्किंग मानकीकरण, अनुरक्षण एवं संचालन) नियमावली 2025 अब लागू हो चुकी है.
नई पार्किंग नियमावली के अनुसार अब वाहन मालिकों को उतना ही शुल्क देना होगा जितने समय तक उन्होंने वाहन पार्क किया है. पहले की व्यवस्था में समय की गणना का कोई मतलब नहीं था.
बड़ी आबादी वाले शहर यानी जिन नगर निगम क्षेत्रों की आबादी 10 लाख से अधिक है, वहां दोपहिया वाहनों के लिए 7 रुपये प्रति घंटा और चार पहिया वाहनों के लिए 15 रुपये प्रति घंटा शुल्क तय किया गया है.
10 लाख से कम आबादी वाले नगर निगम क्षेत्रों में दोपहिया वाहनों के लिए 5 रुपये और चार पहिया वाहनों के लिए 10 रुपये प्रति घंटे का शुल्क लिया जाएगा.
दो घंटे और 24 घंटे की अवधि के लिए न्यूनतम एकमुश्त शुल्क भी निर्धारित किए गए हैं. इससे लंबे समय तक वाहन पार्क करने वालों को सुविधा होगी.
दोपहिया के लिए दो घंटे का 15 रुपये और 24 घंटे का 57 रुपये शुल्क तय किया गया है. चार पहिया के लिए एक घंटे का 30 रुपये और पूरे दिन के लिए एकमुश्त 120 रुपये है.
दोपहिया वाहनों के लिए दो घंटे का 10 रुपये और 24 घंटे का 40 रुपये शुल्क निर्धारित है. चार पहिया वाहनों के लिए यह दरें 20 रुपये और पूरे दिन के लिए 80 रुपये है.
हर नगर निगम क्षेत्र में एक पार्किंग प्रबंधन समिति का गठन होगा. यह समिति स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार पीक और नॉन-पीक समय व वीकेंड के लिए अलग-अलग शुल्क तय कर सकेंगी.
पार्किंग संचालकों को श्रेणीवार शुल्कों की जानकारी बड़े बोर्ड पर पेंट कर प्रदर्शित करनी होगी. इससे आम नागरिकों को शुल्क की पूरी पारदर्शिता मिलेगी.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.