Barabanki News: संभल में सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर लगने वाले नेजा मेला पर बैन करने के बाद बाराबंकी में उसके पिता की दरगाह को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. यहां भी हर साल मेले का आयोजन होता है.
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Barabanki News: संभल में सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाले नेजा मेले पर रोक के बाद विवाद तेज हो गया है. नेजा मेले पर रोक के बाद बाराबंकी में सैयद सालार मसूद गाजी के पिता सैयद सालार गाजी रहमतुल्लाह की दरगाह पर लगने वाले कुल मेले को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल, हर साल ज्येष्ठ माह के बड़े मंगल के बाद शनिवार को कुल मेले का आयोजन किया जाता है. ऐसे में सवाल खड़े होने लगे हैं कि यह कुल मेला अब यहां लगेगा या नहीं?.
कुल मेले के आयोजन को लेकर सवाल
बता दें कि बाराबंकी में सैयद सालार मसूद गाजी के पिता सैयद सालार गाजी रहमतुल्लाह बूढ़े बाबा की दरगाह है. बूढ़े बाबा की दरगाह पर सैकड़ों साल से कुल मेला लगता चला आ रहा है. कुल मेले के दौरान दूर-दूर से जायरीन का यहां आवागमन बना रहता है. खास बात यह है कि यहां हिंदू लोग बच्चों का मुंडन कराने पहुंचते हैं. बाबा की दरगाह पर निशान और चादर पेश करते हैं.
बाराबंकी के सतरिख पहुंचा था सैयद सालार मसूद गाजी का परिवार
यहां रहने वाले मोहम्मद सिद्दीक और अन्य कार्यकर्ताओं ने बताया कि बूढ़े बाबा अफगानिस्तान के रहने वाले थे. वहां से 1400 साल पहले वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ अजमेर शरीफ आए थे. अजमेर शरीफ से उनकी पत्नी तो वापस अफगानिस्तान चली गईं, लेकिन सैयद सालार साहू गाजी रहमतुल्लाह बूढ़े बाबा खुद और उनके साहेबजादे सैयद सालार मसूद गाजी सतरिख आ गए. सतरिख में बूढ़े बाबा की दरगाह है, जबकि उनके साहेबजादे सैयद सालार मसूद गाजी की कब्र बहराइच में बनी है.
कुल मेले की मान्यता
बूढ़े बाबा की दरगाह के कार्यकर्ताओं ने बताया कि कुल मेले के पहले दिन यहां पक्के आम की सीप जरूर चढ़ती है. चाहे जहां से भी वह आम की सीप आए. उन्होंने बताया कि मान्यता है कि लोगों की यहां मुरादें पूरी होती हैं. अलग-अलग बीमारियों के मरीज और लाग बिलाग को लेकर यहां आते हैं. इस साल 14 मई से 17 मई तक कुल मेला चलेगा.
बहराइच में कब्र को दरगाह का रूप दिया गया
बता दें कि अगर सबसे क्रूर मुगल शासकों की बात होती है तो महमूद गजनवी का नाम आता है. सैयद सालार मसूद गाजी उसी मोहम्मद गजनवी का भांजा था. मुस्लिम शासकों के जमाने में ही इसका महिमामंडन किया गया और बहराइच में उनरी कब्र को दरगाह का रूप दे दिया गया. यहां बहुत सारे लोग पहुंचते हैं. यहां भी मेला लगता है जिसको लेकर कई बार विवाद हो चुका है. वहीं, उसकी याद में ही संभल में नेजा मेला लगया है.
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