UP Modern integrated Court: इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की यह योजना न सिर्फ न्यायिक कार्यों को आधुनिक बनाएगी, बल्कि आम जनता को न्याय मिलने की राह भी आसान करेगी. यह योजना यूपी के विकास और ‘न्याय सबके लिए’ के संकल्प को और मजबूत करेगी.
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UP News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य की न्यायिक प्रणाली को और अधिक प्रभावी और सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने राज्य के 6 जिलों शामली, औरैया, हाथरस, महोबा, अमेठी और चंदौली में अत्याधुनिक ‘इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स’ बनाने की योजना को जमीन पर उतारने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सरकार की तरफ से इस संबंध में व्यवस्थित खाका तैयार कर लिया गया है.
छह जिलों में कुल 195 न्यायालयों का निर्माण
योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देश पर नियोजन विभाग ने इस योजना के लिए विस्तृत खाका तैयार कर लिया है. इस परियोजना के अंतर्गत इन छह जिलों में कुल 195 न्यायालयों का निर्माण प्रस्तावित है. इस परियोनजान पर लगभग 1346 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को आगामी 18 महीनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
कैसा होगा नया इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स
एक ही परिसर में सभी न्यायिक सुविधाएं होंगी. नए इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स में मुख्य न्यायालय भवन, वकीलों के लिए चैंबर,जजों और कर्मचारियों के आवास, खेल की सुविधाएं, फैसिलिटी सेंटर और पार्किंग फैसीलिटी जैसी सभी सुविधाएं एक ही जगह पर होंगी. इसके अलावा परिसर में CCTV निगरानी, पब्लिक एड्रेस सिस्टम और आधुनिक सुरक्षा उपकरणों की भी व्यवस्था होगी.
क्या मिलेंगी सुविधाएं और कितना होगा खर्च
सबसे ज्यादा हाथरस में 44, महोबा, औरैया और चंदौली में 37-37, शामली 23 और अमेठी में 17 कोर्ट का निर्माण किया जाएगा. शामली, औरेया और हाथरस में समेत तीनों जिलों में लगभग 692 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण होगा. वहीं महोबा, अमेठी और चंदौली में भी इसी तरह के कोर्ट परिसरों का निर्माण 654 करोड़ रुपये की लागत से होगा. इन सभी परिसरों में न्यायिक कार्यों के अलावा आवासीय सुविधाएं भी होंगी.
न्याय मिलने की प्रक्रिया होगी तेज
योगी सरकार का मानना है कि जब न्यायालय की सुविधाएं एक ही स्थान पर होंगी तो न्यायिक प्रक्रिया और ज्यादा सरल और तेज होगी. वकीलों, जजों और आम नागरिकों को अलग-अलग जगह जाने की जरूरत नहीं होगी. इससे समय और संसाधनों की भी बचत होगी. इन परिसरों में न्यायिक कार्यों के साथ-साथ कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए आवासीय सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े.