यहां होती है 'लंकेश' की पूजा, रावण दहन को माना जाता है ब्रम्ह हत्या!
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यहां होती है 'लंकेश' की पूजा, रावण दहन को माना जाता है ब्रम्ह हत्या!

लंकेश भक्त मंडल का कहना है कि "रावण में कोई बुराई नहीं थी. अगर बुराई होती तो वह भगवान राम के आचार्य कैसे बनते?"

यहां होती है 'लंकेश' की पूजा, रावण दहन को माना जाता है  ब्रम्ह हत्या!

कन्हैया लाल शर्मा/ मथुरा: भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में यमुना किनारे शिव मंदिर पर महाराज दशानन की आरती की गई. लंकेश भक्तों के द्वारा दशानन पूजा कर देशभर में पुतला दहन की प्रथा को कुप्रथा बताते हुए रोकने की मांग की गई है. लोगों का कहना है कि पुतला दहन की परंपरा को शास्त्र और संविधान अनुमति नहीं देता है.

लंकेश भक्त मंडल के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने हर साल की तरह इस साल भी दशानन की आरती और पूजा-अर्चना के कार्यक्रम का आयोजन किया. यमुना किनारे यमुनापार क्षेत्र में पुल के नीचे प्राचीन शिव मंदिर पर शिव और शक्ति की उपासना करने वाले कुलदीप अवस्थी ने दशानन का स्वरूप धारण किया. उन्होंने पहले शिव की आराधना की, बाद में लंकेश भक्तों के द्वारा 'जय लंकेश, जय शंकर' के नारे लगाए.

लंकेश भक्तों के द्वारा महाराज दशानन की आरती उतारी गई. इस मौके पर लंकेश भक्त मंडल के अध्यक्ष सोमवीर सारस्वत ने कहा कि,"भगवान राम ने प्रकांड विद्वान रावण का उनकी विद्वता में लोहा माना था और उन्हें लंका पर विजय के लिए पूजा अर्चना करने के लिए स्वयं आमंत्रित किया था. रावण की वैधता एवं उनके पराक्रम की शक्ति अपार थी. उन्होंने स्वयं अपने आप पर विजय पाने का आशीर्वाद सेतबंध रामेश्वरम की स्थापना के समय भगवान राम को दिया था. रावण जैसा प्रकांड विद्वान स्वयं जानकी जी को लंका से साथ लेकर गया और भगवान राम के साथ पूजा कराने के बाद उन्हें लंका लेकर आया. जब भगवान राम ने स्वयं उन्हें अपना आचार्य बनाया तो हमारे समाज के लोग भगवान राम के आचार्य का अपमान क्यों करते हैं? रावण में कोई बुराई नहीं थी. अगर बुराई होती तो वह भगवान राम के आचार्य कैसे बनते?"

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किसी ग्रंथ में पुतला दहन की परंपरा नहीं है
सोमवीर सारस्वत कहते हैं कि, "हमारे किसी भी धार्मिक ग्रंथ में पुतला दहन का कोई प्रसंग कथा नहीं है और ना ही हमारे संविधान में एक बार किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद बार-बार उसका पुतला दहन की कोई अनुमति है. कुछ लोगों के द्वारा प्रतिवर्ष पुतला दहन की जो परंपरा चलाई जा रही है वह एक कुप्रथा है. हमें रावण की अच्छाइयों से सीख लेनी चाहिए उनकी तपस्या उनकी शक्ति से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए." 

मथुरा में बनेगा लंकेश का भव्य मंदिर
कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा गया कि निकट भविष्य में लंकेश का मंदिर भी मथुरा में भव्य और दिव्य स्वरूप में बनेगा. कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष जहां रावण का पुतला दहन नहीं हो पा रहा है, उस पर भी लंकेश भक्त मंडल ने हर्ष जताया. दशहरा के अवसर पर दशानन की विष्णु लोक भवन के मौके पर लंकेश भक्तों के द्वारा उनकी विशेष पूजा अर्चना की गई. कार्यक्रम के दौरान संतोष सारस्वत, बृजेश सारस्वत, संजय सारस्वत, कुलदीप अवस्थी, के.पी सारस्वत, बीडी शर्मा, बाल योगी महाराज, देवेंद्र सारस्वत आदि ने भाग लिया.

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