डीएम ऑफिस पर दिव्यांगों का फूटा गुस्सा, पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश, प्रशासन में मचा हड़कंप
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डीएम ऑफिस पर दिव्यांगों का फूटा गुस्सा, पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश, प्रशासन में मचा हड़कंप

Mathura Latest News: उत्तर प्रदेश के मथुरा से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां पर दिव्यांगजनों ने ज्ञापन देने पहुंचे, लेकिन वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं था. इसके बाद तो  प्रदेश अध्यक्ष ने पेट्रोल से भरी बोतल निकालकर खुद पर डाल ली और आत्मदाह का प्रयास किया.

 

Disabled people at DM office in Mathura
Disabled people at DM office in Mathura

Mathura Hindi News: मथुरा के डीएम कार्यालय पर उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब राष्ट्रीय दिव्यांग सेवा से जुड़े दर्जनों लोग अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन देने पहुंचे, लेकिन वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं था. काफी देर तक तेज धूप में खड़े रहने और लगातार अनदेखी से नाराज़ दिव्यांगजनों ने जमकर नारेबाजी शुरू कर दी.

अधिकारियों पर लगाए गंभीर आरोप
दिव्यांगजनों का आरोप था कि अधिकारी एसी कमरों में आराम फरमा रहे हैं और बाहर खड़े पीड़ितों की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है. इसी दौरान प्रदेश अध्यक्ष प्रकाश तंवर ने पेट्रोल से भरी बोतल निकालकर खुद पर डाल ली और आत्मदाह का प्रयास किया. उनके इस कदम से वहां मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई.

माइक से दी गई सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी
स्थिति तब और गंभीर हो गई जब प्रदर्शनकारी माइक के माध्यम से सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी देने लगे. इस सूचना पर सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार तत्काल मौके पर पहुंचे, जहां उनकी दिव्यांगजनों से तीखी बहस हो गई.

डीएम पहुंचे मौके पर, दिया आश्वासन
मामला बिगड़ता देख खुद जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को शांत किया. डीएम ने दिव्यांगजनों को उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया. 

दिव्यांगजनों की शिकायतें
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वे लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन देना चाह रहे थे, लेकिन लगातार उपेक्षा की जा रही है. उनका आरोप है कि मथुरा और वृंदावन में पुलिस उन्हें प्रताड़ित कर रही है, ई-रिक्शा चालान किए जा रहे हैं और पुलिसकर्मी अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं.

फिलहाल हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन सवाल बरकरार
फिलहाल डीएम के हस्तक्षेप के बाद स्थिति पर काबू पा लिया गया है, लेकिन यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि दिव्यांगजन अपनी समस्याओं को लेकर कब तक अनसुने रहेंगे और उन्हें कब तक आत्मदाह जैसे कदम उठाने की नौबत आएगी. 

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