मेरठ: मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड से लापता बुजुर्ग मामले में खुलासा, जांच में सामने आई ये बात
3 मई से कर्मचारियों ने परिजनों को कोई सूचना नहीं दी, तो परिजन मेडिकल कॉलेज पहुंच गए. यहां पर पता चला कि बुजुर्ग वार्ड में हैं ही नहीं.
मेरठ: मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड से गायब हुए बुजुर्ग मरीज संतोष कुमार के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. जिसके मुताबिक एडमिट होने के दो दिन बाद यानी 23 अप्रैल को ही संतोष की मौत हो गई थी. लेकिन कंट्रोल रूम मरीज के परिजनों को गलत सूचना देता रहा. यह खुलासा मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने किया. जांच में नर्सिंग स्टाफ, कंसलटेंट डॉक्टर समेत वार्ड के स्टाफ की बड़ी लापरवाही आई है. प्रिंसिपल ने बताया कि रिपोर्ट कल आएगी. लापरवाह स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई होगी.
बता दें कि यहां भर्ती 64 वर्षीय कोरोना संक्रमित बुजुर्ग संदिग्ध हालात में लापता हो गए थे. 3 मई से कर्मचारियों ने परिजनों को उनकी कोई सूचना नहीं दी थी. जिसके बाद परिजन मेडिकल कॉलेज पहुंच गए. यहां पर पता चला कि बुजुर्ग वार्ड में हैं ही नहीं. यह सुनते ही परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई. सभी वार्ड में उन्हें तलाशा गया, लेकिन कहीं पता नहीं चला. इसके बाद बुजुर्ग की बेटी शिखा ने अफसरों और मुख्यमंत्री से पिता की बरामदगी की मांग की थी.
कहां का है मामला?
मूल रूप से बरेली के रहने वाले संतोष कुमार (64 वर्षीय) गाजियाबाद के राजनगर एक्टेंशन में अपनी बेटी शिखा और दामाद अंकित के साथ रहते हैं. शिखा ने बताया कि 21 अप्रैल को बाथरूम में गिरने के कारण उन्हें चोट लग गई थी. जिसके बाद उन्हें गाजियाबाद के अस्पताल में ले जाया गया. वहां उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसके बाद अस्पताल से उनको कोविड हॉस्पिटल ले जाने को कहा गया.
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3 मई तक परिजन लेते रहे हाल-पता
गाजियाबाद में जगह नहीं मिलने के कारण परिजन उन्हें 21 अप्रैल की सुबह मेरठ मेडिकल कॉलेज ले आए. शिखा ने बताया कि यहां उन्हें 11: 36 बजे कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया. उनकी हालत जानने के लिए कोविड सेंटर का नंबर ले लिया. तीन मई तक कर्मचारी हाल बताते रहे. तीन मई को बताया कि संतोष कुमार को आईसीटू वार्ड में रखा गया है. उनका ऑक्सीजन लेवल 92 है. इसके बाद परिजनों ने कोविड सेंटर से अपडेट पूछा तो सही जवाब नहीं दिया गया. कुछ देर में बात कीजिए, कहकर फोन काट दिया गया.
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सीएम योगी आदित्यनाथ से लगाई गुहार
कई दिन से कोई अपडेट नहीं मिला तो परिजन मेरठ आ गए. यहां उन्होंने कोविड वार्ड प्रभारी धीरज बालियान को पूरी जानकारी दी. संतोष कुमार को वार्ड में तलाश गया, लेकिन वे नहीं मिले. वहीं, शिखा का कहना है कि मां ऊषा कैंसर की मरीज हैं. उन्हें अगर पापा के बारे में बताया गया तो हालत खराब हो जाएगी. परिजनों ने डीएम, एडीएम से शिकायत की है. साथ ही शिखा ने अपना वीडियो मुख्यमंत्री को भेजकर पिता को बरामद कराने की गुहार लगाई थी.
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जांच के लिए बनी कमेटी
मामला सामने आने के बाद मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ज्ञानेंद्र चौहान ने एक जांच कमेटी बनाई थी, जिसे 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट देनी थी. प्रिंसिपल ने कहा था कि रिपोर्ट आने पर अगर किसी लापरवाही सामने आती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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