मेरठ से दिल्ली तक यह एक्सप्रेसवे 14 लेन का बनाया गया है. इसमें 6 लेन लंबी दूरी वाले वाहनों के लिए हैं. वहीं, 8 लेन लोकल वाहनों के लिए बनाए गए हैं.
साल 2006 में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को मंजूरी मिली थी और साल 2021 में बनकर यह तैयार हो गया. पहले दिल्ली से मेरठ पहुंचने में तीन से चार घंटे का समय लगता था. इस एक्सप्रेसवे से 45 मिनट का समय लगता है.
यह एक्सप्रेसवे दिल्ली के निजामुद्दीन के पास से शुरू होता है, जो मेरठ तक जाता है. आगे इस एक्सप्रेसवे की मदद से हरिद्वार और देहरादून तक सफर किया जा सकता है.
खास बात यह है कि इस एक्सप्रेसवे पर कोई सिग्नल नहीं है. एक्सप्रेसवे के दोनों ओर वर्टिकल गार्डन विकसित किए गए हैं. इसमें कुतुब मीनार और अशोक स्तंभ के स्मारक चिन्ह लगे हैं.
इस एक्सप्रेसवे पर लगाई गई लाइटें सोलर एनर्जी से रोशन होती हैं. इस पर 10 आपातकालीन कॉल बूथ लगाए गए हैं और कंट्रोल रूम को संदेश मिलने के 10 मिनट के अंदर पहुंच जाएगी.
अब यह देश का पहला ऐसा एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है, जहां नया एडवांस टोल कलेक्टिंग सिस्टम लगाया जा रहा है. इस नए सिस्टम की मदद से वाहन चालक टोल पर बिना रुके टैक्स जमा कर सकेंगे.
आप सफर के दौरान वाहन को टोल पर बिना रुके हुए लेकर जा सकते हैं. टोल खुद कट जाएगा. नया सिस्टम एक्सप्रेसवे पर जल्द शुरू हो जाएगा. इसके बाद धीरे-धीरे इसे पूरे देश के टोल पर लगाया जाएगा.
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर जो नया सिस्टम लग रहा है, उसे ANPR नाम दिया गया है. इसका पूरा नाम ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन है. यह नंबर प्लेट के जरिए टोल काटने का काम करेगा.
नए सिस्टम के तहत टोल के दोनों ओर हाई रिजॉल्यूशन कैमरा लगाए जाएंगे. ये कैमरे गुजरने वाले वाहनों की नंबर प्लेट को कैप्चर करेंगे. इसका बाद टोल सीधे फास्टैग अकाउंट से कट जाएगा.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.