Water Apple Farming in Meerut: मेरठ में अब किसानों की मौज आ गई है. यहां की उपजाऊ मिट्टी में एक नया और अनोखा फल अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है. यह फल 'वाटर एप्पल' है, जिसे आम भाषा में 'जल सेब' कहा जाता है.
दक्षिण भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में उगने वाला यह फल अब पश्चिमी यूपी की जलवायु में भी उगने लगा है. अब तक 'वाटर एप्पल' की खेती तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, मलेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे देशों में ही होती थी.
अब मेरठ इस नक्शे पर अपनी जगह बना रहा है. 'वाटर एप्पल' की इस सफल शुरुआत ने किसानों को एक नया विकल्प दिया है, जिससे कम समय में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.
अगर यह प्रयोग बड़े पैमाने पर सफल होता है तो मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर समेत पूरे पश्चिमी यूपी में फल उत्पादन का परिदृश्य बदल सकता है. किठौर क्षेत्र के शाहजहांपुर गांव में किसान व नर्सरी संचालक सराहत उल्ला खान ने इस फल की खेती का बीड़ा उठाया है.
किसानों की माने तो आंध्रा प्रदेश से चार साल पहले 300 रुपये प्रति पौधा खरीदकर लाए थे. चार साल का पौधा तैयार करने के बाद वह 700 से 800 रुपये तक किसानों को बेच रहे हैं. कम समय में ज्यादा उत्पादन देने वाले इस फल की मांग तेजी से बढ़ रही है.
इस फल का आकार देखने में बब्बूगोसा या नाशपाती जैसा होता है, जबकि इसका रंग गहरा लाल, बिल्कुल सेब की तरह होता है. जिसकी वजह से इसे 'वाटर एप्पल' नाम दिया गया है. यह फल स्वाद में हल्का मीठा और बेहद रसदार होता है.
इस फल की एक और खासियत है इसका पौष्टिक मूल्य. इसमें 93 प्रतिशत तक पानी, 0.6 प्रतिशत प्रोटीन, 5.7 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 1.1 प्रतिशत फाइबर पाया जाता है. गर्मियों के मौसम में यह शरीर को हाइड्रेट करने में बेहद कारगर होता है.