मुख्तार अंसारी की D-5 गैंग, कृष्णानंद राय के हत्याकांड के बाद बनी, 100 से ज्यादा जुड़े पर नाम रहा वही
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मुख्तार अंसारी की D-5 गैंग, कृष्णानंद राय के हत्याकांड के बाद बनी, 100 से ज्यादा जुड़े पर नाम रहा वही

पूर्वांचल के गैंगवार को करीब से देखने वाले कुछ जानकर बताते है कि ये गैंग कृष्णानंद हत्याकांड के बाद बनाया गया था क्योंकि उस हत्याकांड के बाद मुख्तार किसपर विश्वास करना है ये तय कर सके क्योंकि मुख्तार के गैंग में सैंकड़ों लोग थे.

इस गैंग में मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, अंगद राय, गोरा राय और राकेश पांडेय

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के सरोजनी नगर इलाके में मारे गए एक लाख के ईनामी बदमाश राकेश पांडेय उर्फ हनुमान पांडेय को पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी का दाहिना हाथ माना जाता था. साल 2005 में नवंबर के महीने में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से भाजपा के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में बसपा विधायक मुख्तार अंसारी सहित 6 लोगों के साथ मुख्य आरोपित रहे राकेश पांडेय पर मुख्तार अंसारी आंख बंद करके भरोसा करता था. यही वजह थी कि उसे मुख्तार अंसारी ने उसे डी 5 गैंग में शामिल किया हुआ था. मुख्तार अंसारी राकेश पांडेय पर इसलिए भी भरोसा करता था क्योंकि राकेश पांडेय का निशाना अचूक था और उसे सभी तरह की पिस्टल और आटोमैटिक गन चलाना आता था. 

मुन्ना बजरंगी के बाद मुख्तार का हुआ सबसे खास
पूर्वांचल के माफिया नेटवर्क में राकेश पांडेय को एंट्री करवाने वाला मुन्ना बजरंगी था. इसीलिए मुख्तार अंसारी के साथ ही हनुमान पांडेय को मुन्ना बजरंगी का भी बेहद करीबी था. माना जाता है कि उसका निशाना अचूक था इसलिए मुन्ना बजरंगी भी उसको हर वारदात में अपने साथ रखता था. बदलते वक्त ने मुन्ना बजरंगी से मुख्तार अंसारी की थोड़ी दूरी के बावजूद भी राकेश पांडेय ने मुख्तार का साथ नहीं छोड़ा और इसीलिए मुख्तार ने भी राकेश पांडेय को कभी भी अपने से अलग नहीं किया.

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कब बना D-5 गैंग?
मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया में वर्चस्व कायम करने के लिए एक अलग गैंग बनाया था. जिसका नाम D-5 गैंग रखा था. पूर्वांचल के गैंगवार को करीब से देखने वाले कुछ जानकर बताते है कि ये गैंग कृष्णानंद हत्याकांड के बाद बनाया गया था क्योंकि उस हत्याकांड के बाद मुख्तार किसपर विश्वास करना है ये तय कर सके क्योंकि मुख्तार के गैंग में सैंकड़ों लोग थे. हालांकि इस D-5 गैंग की चर्चा तब बहुत जोरों से हुई जब रेलवे के ठेके को लेकर बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी गैंगवार में बदल गयी. 

क्या है D-5 गैंग का मतलब, कितने लोग थे शामिल?
इस गैंग में शामिल लोगों पर मुख्तार बहुत भरोसा करता था और इसीलिए फिरौती, अपरहण, हत्या, रेलवे टेंडर जैसे बड़े काम इस गैंग के लोग ही करते थे. इस गैंग को बनाने का मकसद केवल इतना था कि मुख्तार के पास भीड़ तो बहुत थी, लेकिन सबसे खास कौन है वो इस गैंग में जगह पाने पर होती थी. यहां तक कि मुन्ना बजरंगी भी इस गैंग का सबसे खास सदस्य रहा है. इस गैंग में सबसे पहले पांच लोगों को रखा गया था जिसमें एक मुख्तार खुद था दूसरा मुन्ना बजरंगी, तीसरा अंगद राय और चौथा गोरा राय और पांचवां राकेश पांडेय. सबसे खास बात ये थी कि ये पांचों लोग कृष्णानंद राय की हत्या मामले में आरोपित भी रहे. हालांकि बाद में इस गैंग का स्वरूप बढ़ता गया, लेकिन इसका नाम नहीं बदला गया.

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