Mukhtar Ansari: उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की गुरुवार 28 मार्च कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. 60 साल की उम्र में उ्न्होंने दम तोड़ दिया. जेल में तबियत ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्हें दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया. जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. इस प्रकार यूपी से एक और डॉन का अंत हुआ. मुख्तार अंसारी का शव भी अतीक-अशरफ की तरह परिवार को शव नहीं सौंपा जाएगा. पुलिस सुरक्षा के बीच ही परिजनों की मौजूदगी में दफन किया जाएगा. उसी तरह रूट प्लान बनाया गया. कब्रिस्तान में भी सीमित लोगों की मौजूदगी होगी. आगे जानें कैसा है मुख्तार का परिवार और क्या- क्या अपराध दर्ज हैं मुख्तार पर. जानें मुख्तयार के डॉन बनने की पूरी कहानी...


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खबर विस्तार से- 
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्तार अंसारी का जन्म 3 जून 1963 को गाजीपुर जिले में हुआ था. अंसारी के पिता का नाम सुभान अल्लाह अंसारी था और उनकी मां का नाम बेगम राबिया. अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी एक स्वतंत्रता सेनानी थे. माडिया रिपोर्ट से जानकारी मिलती है कि मुख्तार अंसार के दादा अहमद अंसारी महात्मा गांधी के साथ 1926 और 27 में उन्होंने काफी करीबी से काम किया था. वहीं अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 की लड़ाई में शहीद हुए थे. मुख्तार अंसारी के अपराधों को जानने वालों को यकिन नहीं होता कि उत्तर प्रदेश का यह डॉन इतने प्रतिष्ठित परिवार से आता था. 


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अस्पतालों और स्कूल-कॉलेज भी बनवाए
ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप,  रेलवे ठेकेदारी, शराब शायद ही कोई ऐसा जुर्म होगा जो मुख्तार अंसारी ने छोड़ा होगा. मुख्तार अंसारी ने जो भी काम किया उसने पैसा खूब कमाया. माडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार पूर्वांचल की सियासत में अंसारी ने अपनी सल्तनत भी इन्हीं धंधों के आधार पर खड़ी की थी. ये जरूर कहा जाता है कि अंसारी ने अगर जुर्म की दुनिया में अपना नाम कमाया था, विधायक रहते हुए उसने अपने लोगों के लिए भी काफी काम किया. वो अमीरों से अगर पैसा लूटा था तो गरीबों में बांटने का काम भी किया. सड़कें, पुल से लेकर स्कूल कॉलेज तक उसने अपने इलाके में सब कुछ बनवाया था. मुख्तार अंसारी के समर्थक कहते हैं कि मुख्तार एक रॉबिनहुड था वह अमीरों से लूटता था, तो गरीबों में बांटता भी था. मऊ के लोग कहते हैं कि सिर्फ दबंगई ही नहीं बल्कि बतौर विधायक मुख्तार अंसारी ने अपने इलाके में काफी काम किया था. सड़कों, पुलों, अस्पतालों और स्कूल-कॉलेजों पर ये रॉबिनहुड अपनी विधायक निधी से 20 गुना ज़्यादा पैसा खर्च करता था.


रौबदार मूंछों वाला मुख्तार अंसारी आज भले ही दुनिया से चले गया हो लेकिन मऊ और उसके आसपास के इलाके में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी. कभी वक्त था जब पूरा सूबा मुख्तार के नाम से कांपता था. वो बीजेपी को छोड़कर उत्तर प्रदेश की हर बड़ी पार्टी में शामिल रहा. मुख्तार अंसारी 24 साल तक लगातार यूपी की विधानसभा पहुंचता रहा. गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान प्रथम राजनीतिक परिवार की है. सिर्फ डर की वजह से नहीं बल्कि काम की वजह से भी इलाके के गरीब गुरबों में मुख्तार अंसारी के परिवार का सम्मान है. मगर आप में से शायद कम लोगों को ही पता हो कि मऊ में अंसारी परिवार की इस इज़्ज़त की एक वजह और है और वो है इस खानदान का गौरवशाली इतिहास. खानदानी रसूख की जो तारीख इस घराने की है वैसी शायद ही पूर्वांचल के किसी खानदान की हो. बाहुबली मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और वे गांधी जी के बेहद करीबी माने जाते थे. उनकी याद में दिल्ली की एक रोड का नाम उनके नाम पर है.


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पहली बार बसपा से लड़ा था चुनाव
उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा से 1996 में BSP के टिकट पर जीतकर लखनऊ विधानसभा जाने वाले मुख़्तार अंसारी ने 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 इस सीट पर जीत हासिल की. इस सीट पर उनका दबदबा इतना था कि इनमें से आखिरी 3 चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े और जीते थे. साल 2002 ही वो साल था जिसने मुख्तार की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी थी. 2002 में बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास साल 1985 से रही गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट छीन ली. कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और तीन साल बाद यानी साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई.


कृष्णानंद राय हत्याकांड
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम के उद्घाटन करके लौट रहे थे. तभी उनकी गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई. हमला ऐसी सड़क पर हुआ जहां से गाड़ी को दाएं-बाएं मोड़ने का कोई रास्ता नहीं था. हमलावरों ने AK-47 से तकरीबन 500 गोलियां चलाईं और कृष्णानंद राय समेत गाड़ी में मौजूद सभी सातों लोग मारे गए. बाद में इस केस की जांच यूपी पुलिस से लेकर सीबीआई को दी गई. कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केस 2013 में गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया. लेकिन गवाहों के मुकर जाने से ये मामला नतीजे पर न पहुंच सका.


मुख्तार अंसारी की सबसे ज्यादा चर्चित केस
मुख्तार अंसारी 1988 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था. मुख्तार अंसारी की सबसे ज्यादा चर्चित केस ये हैं. गाजीपुर में  बीजेपी विधायक की हत्या, मन्ना हत्याकांड के गवाह की हत्या. फर्जी लाइसेंस हासिल करने पर  केस, कांग्रेस नेता के भाई की हत्या, मऊ में हत्याकांड, बॉडी गार्ड सिपाही मर्डर केस, इलाहाबाद स्पेशल एमएलए कोर्ट 4 केस, आजमगढ़ हत्या, गाजीपुर जैसे चर्चित केस हैं.


पहला केस 1988 में  दर्ज हुआ था. कुल 65 मुकदमे दर्ज थे. 21 सितंबर 2022 को राजधानी के आलमबाग थाने में दर्ज मामले में मुख्तार को 7 साल की सजा हुई. 23 सितंबर 2022 को हजरतगंज कोतवाली लखनऊ में दर्ज केस में मुख्तार को 5 साल की सजा हुई. 15 दिसंबर 2022 को हजरतगंज कोतवाली लखनऊ में दर्ज एक दूसरे केस में मुख्तार को 5 साल की सजा हुई .29 अप्रैल 2023 को मोहम्मदाबाद कोतवाली गाजीपुर में दर्ज मुकदमे में 5 साल की सजा हुई


बेटे ने किया था देश का नाम रोशन
एक तरफ जहां सालों की खानदानी विरासत है तो वहीं दूसरी तरफ कई संगीन इल्ज़ामों से घिरा था माफिया डॉन मुख्तार अंसारी. जिसने अपने परिवार की शानदार विरासत पर पैबंद लगा दिया. मगर इस खानदान की अगली पीढ़ी से मिलेंगे तो फिर हैरानी होगी. मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का इंटरनेशनल खिलाड़ी है. दुनिया के टॉप टेन शूटरों में शुमार अब्बास न सिर्फ नेशनल चैंपियन रह चुका है. बल्कि दुनियाभर में कई पदक जीतकर देश का नाम रौशन कर चुका है. लेकिन अब वो भी पिता के कर्मों की सजा भुगत रहा है. उसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था.


मुख्तार अंसारी का परिवार
मुख्तार अंसारी तीन भाइयों में सबसे छोटा था. मुख्तार अंसारी की पत्नी का नाम अफशां अंसारी है. मुख्तार की पत्नी अफशां के खिलाफ भी कई मुकदमे दर्ज हैं. अफशां पर यूपी पुलिस ने 75 हजार रुपये का इनाम रखा है.  वह लंबे समय से फरार है. अफशां और मुख्तार के दो बेटे हैं अब्बास अंसारी और उमर अंसारी.


अब्बास अंसारी 
अब्बास अंसारी ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए मऊ से 2022 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव जीता. अब्बास अंसारी निशानेबाजी में तीन बार का राष्ट्रीय चैंपियन है. वह कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम के साथ खेल चुका है. अब्बास की पत्नी का नाम निखत बानो है. अब्बास का एक बेटा है.  अब्बास अंसारी अभी जेल में बंद है.


अब्बास अंसारी की पत्नी निखत 
अब्बास अंसारी की पत्नी निखत फिलहाल जेल में हैं.  निखत पर आरोप है कि वह कानून तोड़कर गुप्त तरीके से अपने पति से मिलने जेल गई थी.


उमर अंसारी 
अब्बास अंसारी का बेटा उमर अंसारी भी पुलिस के निशाने पर है. उमर पर हेट स्पीच मामले में कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है. उमर अभी फरार चल रहा है.


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