तीन तलाक बिल के विरोध में उतरा AIMPLB, राजनीतिक दलों से की असमर्थन की अपील
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तीन तलाक बिल के विरोध में उतरा AIMPLB, राजनीतिक दलों से की असमर्थन की अपील

बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बताया कि तीन तलाक रोधी विधेयक को मुस्लिम समुदाय से विचार-विमर्श किये बगैर तैयार किया गया है, लिहाजा इसमें कई गम्भीर खामियां हैं. 

फाइल फोटो

लखनऊ: तीन तलाक रोधी विधेयक पर संसद में गुरुवार (27 दिसंबर) को चर्चा से पहले ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी पेशबंदी शुरू कर दी है. उसके नुमाइंदों ने विभिन्न राजनीतिक दलों से मुलाकात करके संसद में इस विधेयक का समर्थन ना करने की अपील की है. बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बताया कि तीन तलाक रोधी विधेयक को मुस्लिम समुदाय से विचार-विमर्श किये बगैर तैयार किया गया है, लिहाजा इसमें कई गम्भीर खामियां हैं. इसे मौजूदा स्वरूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि पूरे मुस्लिम समुदाय पर बुरा असर डालने वाले इस विधेयक को पारित ना होने देने के लिये बोर्ड अपनी कोशिशें जारी रखे हुए है. इस सिलसिले में विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधियों से बातचीत हो रही है. संसद कानून बनाती है. कोई गलत कानून ना बने लिहाजा संसद सदस्यों को उससे वाकिफ कराना हिन्दुस्तान के हरेक शहरी की जिम्मेदारी है.

मौलाना रहमानी ने कहा कि बोर्ड के प्रतिनिधियों की कई पार्टियों के नेताओं से मुलाकात हो चुकी है. आज कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात हो रही है. हम संजीदा कोशिशों को छोड़ नहीं सकते. हमारी दलीलों पर पार्टियों का रुख सकारात्मक है.

इस बीच, बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने बताया कि बोर्ड ने पहले भी यह रुख अपनाया था. हम अब भी सांसदों को इस विधेयक की खामियों और उसके दुष्प्रभावों के बारे में बता रहे हैं, ताकि इसे पारित होने से रोका जा सके. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत जहां-जहां धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के नेता हैं, वहां-वहां बोर्ड के प्रतिनिधिमण्डलों ने उनसे मुलाकात करके अपना पक्ष रखा है.

वैसे, ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही यह साफ कर चुका है कि अगर तीन तलाक रोधी विधेयक को कानून की शक्ल दी गयी तो वह इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगा. बोर्ड की कार्यकारिणी समिति की गत 16 दिसम्बर को लखनऊ में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था. बोर्ड ने यह भी कहा था कि अगर अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिये भी सरकार कोई अध्यादेश या कानून लाती है तो उसे भी अदालत में चुनौती दी जाएगी.

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