मुजफ्फरनगर जिले के महाबलीपुर गांव की रहने वाली रितू रानी के पिता वेद पाल सिंह गांव में किसानी करते थे. मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं रीतू रानी के परिवार की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपनी बेटी को किसी बेहतर स्कूल में पढ़ा सकें.
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मुजफ्फरनगर: UPPSC- 2019 के आए परिणाम में एक बेटी ने डिप्टी कलेक्टर बन अपने पिता का सपना पूरा कर दिखाया है. लेकिन अफसोस, हर परिस्थिति से लड़कर बेटी को आगे पहुंचाने वाले उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे. वह अपनी बेटी को अधिकारी बनता देखना चाहते थे, जो नहीं हो सका...
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यह रहा पढ़ाई का सफर, हैं कई डिग्रियां
दरअसल, मुजफ्फरनगर जिले के महाबलीपुर गांव की रहने वाली रितू रानी के पिता वेद पाल सिंह गांव में किसानी करते थे. मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं रीतू रानी के परिवार की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपनी बेटी को किसी बेहतर स्कूल में पढ़ा सकें. रितू की प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से हुई. इसके बाद क्लस 6 से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई चरथावल कस्बे में स्थित सरकारी स्कूल आर्य कन्या इंटर कॉलेज स्कूल में हुई. इसके बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई उन्होंने चरथावल में स्थित महाराजा अग्रसेन कॉलेज से की औऱ एमबीए देहरादून से. एमबीए की पढ़ाई के दौरान ही उनकी नौकरी लग गई. कुछ समय के बाद रितू ने तैयारी करने का मन बनाया. रितू नौकरी छोड़कर तैयारी में जुट गईं. इसी दौरान बीएड भी कर लिया. बीएड के बाद रितू ने यूपीटीईटी की परीक्षा के साथ ही सीटेट की परीक्षा भी पास की.
UPPSC में मिली 34वीं रैंक
रितू रानी ने 2019 के आए परिणाम में 34वीं रैंक हासिल करके डिप्टी कलेक्टर का पद हासिल किया है. किसान पिता वेद पाल सिंह के प्रयास से रितू अपने गांव के बाहर जाकर पढ़ने वाली पहली बेटी बनीं. बेटी के प्रति पिता का कितना समर्पण था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने रितू रानी को एमबीए कराया. फिर नौकरी छुड़वा कर बेटी को सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया.
विमेन्स डे पर मिला सम्मान
अब जब रितू रानी डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित हो गई हैं, तो वे इस समय मुजफ्फरनगर जिले की हजारों बेटियों के लिए आइडल बन गई हैं. अब हर कोई रितू जैसा बनना चाहता है. गांव की रहने वाली बेटी रितू रानी को इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जिलाधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग और विधायक ने सम्मानित किया.
एक समय कर्ज में डूब गया था परिवार
रितू रानी को अपनी तैयारी के लिए काफी लम्बा समय देना पड़ा है. उन्हें कामयाबी इतनी जल्दी नहीं मिली है. तैयारी के दौरान उन्हें भी कई तरह के संघर्षों से गुजरना पड़ा. परिवार की स्थिति इतनी बेहतर थी नहीं कि वह रितू रानी को दिल्ली में रहकर पढ़ाई कराएं. पिता के इलाज में परिवार कर्ज में डूब गया था. ऐसी स्थिति में रितू रानी ने अपना खर्च स्वयं ही निकालना शुरू कर दिया. उन्होंने दिल्ली में रहते ही अपना खर्च निकालने के लिए ट्यूशन और कोचिंग पढ़ाना शुरू किया.
यूपी सरकार की सिविल सर्विस कोचिंग में पढ़ा रही हैं रितू
रितू रानी ने सीमित संसाधनों के बीच भी पढ़ाई करके यह मुकाम हासिल किया. रितू चयनित होने के बाद भी इस समय उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सिविल सर्विसेज के लिए संचालित अभ्युदय कोचिंग में पढ़ा रही हैं. अब कोविड के दौरान वह अपने गांव में लोगों की विभिन्न हेल्पलाइन से जुड़कर मदद कर रही हैं.
जन्मदिन पर मिल रहा जॉइनिंग लेटर
रितू की मां श्रेमला ने बताया की आज बेटी का जन्मदिवस है और आज ही उसे नियुक्ति पत्र मिलने जा रहा है. पूरे घर में खुशी का माहौल है. बेटी ने परिवार व गांव का नाम ऊंचा किया है. वहीं, रितू के गांव के निवासी राजेन्द्र प्रधान ने कहा की इससे खुशी की बात क्या हो सकती है कि हमारे गांव की बेटी ने पढ़ लिखकर गांव को गौरवान्वित किया है.
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